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कहानी अयोध्या की: ‘काले और गोरे राम’ का वो मंदिर, जिसे मुगल काल में ऐसे बचाया गया था
पूरी दुनिया में अयोध्या भगवान राम के नाम जानी जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि अयोध्या में एक राम नहीं बल्कि राम के कई रूपों की पूजा की जाती है. अयोध्या में भगवान राम के कितने रूपों की पूजा की जाती है. इसके बारे में आइए जानते हैं.
राम नगरी में भगवान राम अनेक रंगो में विराजमान हैं. अयोध्यावासी और संत समाज भगवान राम को अपनी-अपनी आस्था के आधार पर उनकी आराधना करते है. आज हम आपको अयोध्या में काले राम और गोरे राम के अति प्राचीन मंदिर के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को कुछ तस्वीरों के जरिए बताने की कोशिश करेंगे.
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भगवान राम के कालेराम मंदिर की स्थापना आज से करीब 2000 साल पहले हुई थी. काले राम की स्थापना उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने श्री राम जन्मभूमि पर इसकी स्थापना की थी.
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मुगल आक्रमणों से मंदिर को बचाने के लिए उन्होंने मूर्ति को सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया. इसके बाद मुगलों ने आक्रमण किया तो उन्हें मूर्तियां नहीं प्राप्त हुई. बाद में एक संत नदी के किनारे रह कर तपस्या कर रहे थे इस दौरान जब वे नदी में स्नान करने के लिए गए तो उन्हें सरयू नदी में वह मूर्ति प्राप्त हुई.
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इस मूर्ति के मिलते ही सबसे पहले उनके मुंह से निकला ‘काले राम जी मिल गए’ इसलिए इस मंदिर में विराजमान भगवान का नाम काले राम पड़ा.
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वही मंदिर एक और प्रतिमा स्थापित की गई जिसे गोरे राम के नाम से स्थापित किया गया. राम की पहाड़ी के निकट नागेश्वर नाथ मंदिर के पीछे काले राम और गोरे राम का प्राचीन मंदिर है यहां हर रोज हजारों की तादात में राम भक्त और श्रद्धालु दर्शन पूजन करते हैं .