बस एक चूक से फंस गई एल टी ग्रेड जीआईसी टीचर भर्ती… जानिए पूरा मामला
शिक्षक भर्ती को लेकर जहां एक तरफ छात्रों का धरना जारी है तो वहीं अधिकारियों की लापरवाही से एक और टीचर्स भर्ती पर ग्रहण लग गया है. इस बार मामला एल टी ग्रेड जी आईसी टीचर्स भर्ती का है, जिसे लेकर अभ्यर्थियों ने गुरुवार से ही विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. आखिर एल टी ग्रेड जीआईसी टीचर भर्ती कैसे रुक गई, आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं.

डीएलएड नई शिक्षक भर्ती को लेकर अभी मामला खत्म भी नहीं हुआ था कि एक और शिक्षक भर्ती को लेकर विवाद शुरू हो गया. ये मामला एल टी ग्रेड जीआईसी टीचर्स भर्ती का है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि पिछले सात सालों से ये भर्ती शिक्षा निदेशालय की एक लापरवाही को वजह से फंसी हुई है.
अधिकारियों पर हैं आरोप
अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षा निदेशालय की तरफ से लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के पास उसे लेकर जो ब्यौरा भेजा गया वह आधा- अधूरा था. इसीलिए आयोग ने इसकी भर्ती निकालने के बजाय वापस शिक्षा निदेशालय भेज दिया. अभ्यर्थियों ने इसे लेकर अपर शिक्षा निदेशक के सामने अपनी मांगें रखी हैं. इसके साथ ही अभ्यर्थियों ने इसे संशोधित जानकारी आयोग के पास भेजने की मांग की है, ताकि भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जा सके.
कैसे फंसा पेंच
यह पूरा मामला एलटी ग्रेड जीआईसी भर्ती में 8905 शिक्षकों की भर्ती का है. ये भर्ती करीब 7 साल से फंसी पड़ी है. अभ्यर्थियों का कहना है कि शिक्षा निदेशालय की तरफ से 29 जुलाई 2018 को एल टी ग्रेड टीचर्स के 7258 पदों के लिए और 2020 को जीआईसी प्रवक्ता के लिए 1647 पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इस भर्ती में शिक्षा निदेशालय ने सही तरीके से जातिगत आरक्षण की डिटेल आयोग के पास नहीं भेजी. इसी वजह से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इसे वापस शिक्षा निदेशालय को भेज दिया जिसके बाद से यह प्रक्रिया यहीं रुक गई.
7 साल से अटकी है भर्ती
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक निदेशालय जातिगत आरक्षण का ब्यौरा सही तरीके से आयोग के पास नही भेजेगा तब तक ये भर्ती प्रक्रिया पूरी नही होगी. 7 साल से अटकी पड़ी ये शिक्षक भर्ती कब पूरी होगी, ये कह पाना तो काफी मुश्किल है. फिलहाल छात्र इसे जल्द से जल्द पूरा करने की मांग को लेकर धरने पर हैं.
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