यूपी के इस जगह से जुड़ी है राम वनवास की पटकथा, यहीं राजा दशरथ को मिला पुत्र वियोग का श्राप
उत्तर प्रदेश में यह जगह राम के वनवास की कहानी से जुड़ी है. यहीं पर राजा दशरथ को अपने बेटे के खोने का श्राप मिला था. यह श्राप ही भगवान राम के वनवास की पटकथा बन गया. इसे अयोध्या का पूर्वी द्वार माना जाता है और यहां माघ पूर्णिमा पर भव्य मेला लगता है.
अंबेडकरनगर में स्थित श्रवण धाम का रामायण में गहरा महत्व है. यहीं दशरथ ने अनजाने में श्रवण कुमार का वध किया था, जिसके बाद श्रवण के माता-पिता ने दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दिया.
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अवध प्रान्त का हिस्सा रहे आज का श्रवण धाम जिला मुख्यालय अकबरपुर से तकरीबन 7 किमी दूर तीन नदियों के संगम पर है. यहां मड़हा, विसुही और तमसा तीन नदियों का संगम है.
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पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, यह क्षेत्र अयोध्या के राजा दशरथ के अधीन था. एक दिन वह यहां शिकार खेलने गए थे. नदी के जल से आवाज सुनाई दी और मृग समझ कर अपना शब्द भेदी बाण चला दिया.
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लेकिन बाण जा कर श्रवण कुमार को लगा. श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को कावंड़ पर बैठा कर चारो धाम पर निकले थे. वह माता-पिता की प्यास बुझाने तमसा नदी से जल लेने गए थे और उनको तीर लग गई.
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श्रवण की मौत से दुखी राजा दशरथ पानी ले कर श्रवण के माता पिता के पास पहुंचे. जब पुत्र के मौत की खबर सुनी तो दोनों बहुत दुखी हुए. और राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दे दिया था.
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यहीं से राम के वनवास जाने की पटकथा तैयार हुई थी. श्रवण धाम में हर साल माघ की पूर्णिमा से सात दिवसीय मेला का आयोजन होता है. श्रद्धालु संगम में स्नान करते हैं और श्रवण मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.
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श्रवण धाम में प्रभु श्री राम ,भगवान शंकर और राम भक्त हनुमान की विशाल काय प्रतिमा लगी है. जो इस स्थान को विशिष्ट बनाता है. ऐसी मान्यता है कि बिना श्रवण धाम का दर्शन किए अयोध्या दर्शन का फल नहीं मिलता है.