400 साल पुराना, पूर्वांचल की आस्था… सवा महीने तक चलने वाला गोविंद साहब मेला क्यों है खास?

अम्बेडकरनगर में 400 साल पुराना ऐतिहासिक गोविंद साहब मेला पूर्वांचल के आस्था और परंपरा का प्रतीक है. गोविंद दशमी से शुरू होकर सवा महीने तक चलने वाला यह भव्य मेला बाबा गोविंद के मठ पर आयोजित होता है. मान्यता है कि यहां खिचड़ी चढ़ाने से मुराद जरूर पूरी होती है.

400 साल पुराना, पूर्वांचल की आस्था… सवा महीने तक चलने वाला गोविंद साहब मेला क्यों है खास?
अम्बेडकरनगर में ऐतिहासिक गोविंद साहब मेला पूर्वांचल के आस्था और परंपरा का प्रतीक है. इस मेले का शुभारंभ गोविंद दशमी के दिन से होता है. मेला का आयोजन सवा महीने तक चलता है.
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यह भव्य मेला बाबा गोविंद के मठ पर आयोजित होता है. श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाते हैं, प्रसिद्ध खजला मिठाई का स्वाद लेते हैं और पशु मेले का आनंद उठाते हैं. यह पूर्वांचल के सबसे बड़े मेले में शुमार है.
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मेला का आयोजन जिला पंचायत विभाग की देख रेख में होता है. जिला पंचायत अध्यक्ष साधू वर्मा ने पूजन कर मेला का शुभारंभ किया था. पूर्वांचल के एक दर्जन से अधिक जिलों में इस मेले की महत्वा है.
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आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, संतकबीर नगर, देवरिया,गाजीपुर और बनारस सहीत कई जिले के लोग इस मेला में आते हैं. गोविंद साहब मेला में जानवरों का भी बाजार लगता है, जो काफी आकर्षित है.
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बाबा गोविंद साहब की कहानी तकरीबन चार सौ साल पुरानी है. जब बाबा गोविंद ने यहां पर समाधि ली थी, तभी से ही इस स्थान की मान्यता है. यहां आने वाले श्रद्धालु बाबा के मठ पर खिचड़ी चढ़ाते हैं.
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ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु यहां खिचड़ी चढ़ाता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. वहीं, बाबा गोविंद मठ पर एक सरोवर है, जहां पर सन्न पर्व के दिन हजारों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं.
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मेला में मिलने वाली खजला मिठाई बहुत ही मसहूर है. मेले आने वाले सभी लोग इस खजला मिठाई का स्वाद जरूर चखते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो खजला मिठाई यहां मिलती है वह कही नहीं मिलती.
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इसमें जानवरों का भी मेला लगता है. भैंस, बकरी के साथ घोड़ों का भी बाजार लगता है. घोड़ों के शौकीन लोग कई जिलों से यहां आते हैं. मेला में बच्चों के खेलने और मौज मस्ती के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था है.
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