300000000 से बनना चाहता था अरबपति… लेखपाल ने भिड़ाया तिकड़म, खरीद ली 41 प्रॉपर्टी, मगर हो गई ये गलती

अरबपति बनने के लिए एक लेखपाल ने 9 साल की प्लानिंग की. उसने एक के बाद 41 संपत्तियां खरीद ली. लेकिन अब उसकी ये प्लानिंग पकड़ी गई. चलिए जानते हैं कि कैसे कानपुर का एक लेखपाल ने 30 करोड़ की संपत्ति के सहारे अरबपति बनने की प्लानिंग कर रहा था.

अरबपति बनना चाहता था लेखपाल

कानपुर के एक लेखपाल ने अरबपति बनने के लिए ऐसा खेल खेला कि वह जांच एजेंसियों के रडार पर आ गया. दरअसल, उसे कहीं से जानकारी मिली थी कि दूल और रौतेपुर गांव की तरफ रिंग रोड का निर्माण किया जाएगा. ऐसे में उसने 2016 में औने-पौने दाम पर जमीनें खरीदनी शुरू कर दी.

लेखपाल ने बिना कुछ सोचे समझे 30 करोड़ की कुल 41 संपत्तियां खरीद. इसमें से 29 संपत्तियां उसके नाम पर थीं. बाकी संपत्तियों को उसने पत्नी और बच्चों के नाम करा दिया. इस बीच उसने अपनी एक प्रॉपर्टी बेची तो उसे 4 गुना फायदा हुआ. इससे उसे लगा कि वह जल्द ही 30 करोड़ की संपत्ति के सहारे अरबपति बनने की लिस्ट में शामिल हो जाएगा.

9 साल की प्लानिंग पर फिरा पानी

अब आलोक दुबे नाम के इस लेखपाल की 9 साल की प्लानिंग सामने आ गई है. अब आपको बताते हैं लेखपाल के इस खेल का खुलासा कैसे हुआ. दरअसल, आलोक के खिलाफ संदीप सिंह नामक व्यक्ति ने जमीनों के खरीद-फरोख्त में शिकायत की थी, जिसके बाद उसके खिलाफ जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी में एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली शामिल थे. जब जांच हुई तो सामने आया कि सिंहपुर कठार की गाटा संख्या 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 की जमीनें न्यायालय में विचाराधीन थीं.

ऐसे पकड़ में आया लेखपाल का कारनामा

इन जमीनों के खतौनी पर विक्रेता का नाम ही दर्ज नहीं था. ना ही बिक्री के लिए कोई वैधानिक अनुमति ली गई थी. लेकिन 11 मार्च 2024 को विरासत दर्ज कराकर उस जमीन पर बैनामा करा लिया था. फिर गाटा 207 को 19 अक्टूबर 2024 को RNG इंफ्रा नाम की निजी कंपनी को बेच दिया गया. आलोक दुबे का ऐसा करना उसके पकड़े जाने की सबसे बड़ी वजह बन गई.

जांच में पाया गया दोषी

कमेटी ने पाया कि आलोक दुबे ने अपने पद का दुरुपयोग किया है. इसको लेकर मार्च 2025 को एफआईआर भी दर्ज की गई थी और लेखपाल को निलंबित कर दिया गया. मार्च 2025 में उसके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया गया. आरोपपत्र के मुताबिक आलोक दुबे ने विवादित भूमि का अनुचित तरीके से बैनामा किया. बिना अनुमति लिए संपत्ति खरीद फरोख्त भी करते रहे. अब नियमों के उल्लंघन के आरोप पर लेखपाल आलोक दुबे पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है.

शक के दायरे में 1250 करोड़ का मुआवजा

बता दें आलोक पहले कानूनगो था. लेकिन बाद में उसे डिमोट करके लेखपाल बना दिया गया. जानकारी के मुताबिक अधिग्रहण में उसकी सिर्फ एक संपत्ति ही अधिग्रहित की गई. उसने उसका एक करोड़ रुपये का मुआवजा भू-अध्याप्ति कार्यालय से उठाया था. अब इस मामले का खुलासा होने के बाद रिंग रोड और न्यू कानपुर सिटी समेत कई परियोजनाओं का 450 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण उसपर दिए गए 1250 करोड़ का मुआवजा शक के दायरे में आ गया है.