लखनऊ: कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राओं का उत्पीड़न, सीसीटीवी में देखा गया पीटते; केस दर्ज
मोहनलालगंज के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में वार्डन पर छात्राओं से मारपीट और प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगा है. सीसीटीवी फुटेज में बालिकाओं को पीटते हुए देखा गया है. वार्डन के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच समिति बनी है जो मामले की पड़ताल कर रही है.
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, खुजौली में वार्डन/प्रिंसिपल सुधा यादव पर छात्राओं के साथ मारपीट और प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगे हैं. सीसीटीवी फुटेज में सुधा यादव द्वारा छात्राओं को पीटते और प्रताड़ित करते हुए देखा गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए खंड शिक्षा अधिकारी ने रविवार को मोहनलालगंज थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज कराया.
साथ ही, प्राथमिक जांच के आधार पर वार्डन की संविदा समाप्त करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है. जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच समिति बनी है जो मामले की पड़ताल कर रही है. जांच समिति दो दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट डीएम को सौंपेगी, जिसके बाद अन्य जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की जाएगी.
छात्राओं ने समाधान दिवस पर की थी शिकायत
मोहनलालगंज तहसील में आयोजित समाधान दिवस के दौरान शनिवार को स्कूल की छात्राओं ने डीएम विशाख जी से वार्डन और प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. छात्राओं ने आरोप लगाया कि सुधा यादव उन्हें प्रताड़ित करती हैं, शौचालय की साफ-सफाई करवाती हैं, और रात के समय कुछ लोग गाड़ियों से स्कूल परिसर में आते हैं.
डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल वार्डन को हटाने का आदेश दिया. साथ ही बालिकाओं के साथ हो रही घटनाओं के लिए एक जांच समिति गठित की. समिति में एडीएम-6 शिप्रा पाल, एडीएम सिविल सप्लाई ज्योति गौतम, और एआर कॉपरेटिव वैशाली सिंह शामिल हैं.
छात्राओं के बयानों ने खोली वार्डन की पोल
जांच समिति रविवार को स्कूल परिसर में पहुंची, जहां करीब छह घंटे तक जांच पड़ताल की गई. इस दौरान सभी से पूछताछ की गई. सबसे पहले छात्राओं के बयान लिए गए, जिनमें लगभग सभी ने मारपीट और प्रताड़ना के आरोपों को दोहराया. इसके बाद प्रिंसिपल, वार्डन, अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए.
वहीं, जांच टीम ने पूछताछ के बाद स्कूल के डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (डीवीआर) को कब्जे में ले लिया. वहीं, शुरुआती सीसीटीवी फुटेज में मारपीट के आरोप सही पाए गए. चूंकि छात्राओं ने रात में बाहरी लोगों के स्कूल परिसर में आने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए हैं, इसलिए जांच समिति फुटेज की गहनता से जांच कर रही है.
अधिकारियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?
सूत्रों के अनुसार, स्कूल में शिक्षकों के बीच गुटबाजी है. इससे छात्राओं का शैक्षिक नुकसान हो रहा है. यह भी खुलासा हुआ कि कुछ लोगों ने छात्राओं के फोन पर बातचीत के वीडियो बनाए, जिनका इस्तेमाल उन्हें परेशान करने के लिए किया जा रहा था. अधिकारियों ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया है और इस दिशा में भी जांच की जा रही है.
छात्राओं का कहना है कि उत्पीड़न लंबे समय से चल रहा था, लेकिन जब यह असहनीय हो गया, तब उन्होंने डीएम से शिकायत की. इस मामले ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही को भी उजागर किया है. सवाल उठ रहे हैं कि अगर छात्राओं के साथ इतना गंभीर व्यवहार हो रहा था, तो विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?