लखनऊ के प्राइमरी स्कूलों में 10569 बच्चे ‘डिजिटली लापता’, शिक्षकों पर बढ़ा दबाव; वेतन रोकने की धमकी

लखनऊ के प्राइमरी स्कूलों में 10,569 बच्चे UDISE+ पोर्टल पर 'डिजिटली लापता' पाए गए हैं. ये बच्चे या तो पढ़ाई छोड़ चुके हैं या नए स्कूलों में उनका डेटा अपडेट नहीं हुआ. बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों पर इन्हें खोजने का दबाव बना रहा है, यहां तक कि वेतन रोकने की धमकी भी दी जा रही है.

लखनऊ के प्राइमरी स्कूलों में 10,569 बच्चे 'डिजिटल लापता Image Credit:

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में एक गंभीर लापरवाही सामने आई है. जहां लखनऊ के 1,618 प्राइमरी स्कूलों में नामांकित करीब 1.75 लाख बच्चों में से 10,569 बच्चे यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE+) पोर्टल में लापता पाए गए हैं. ये बच्चे बीच सत्र में पढ़ाई छोड़ चुके हैं या पास होकर अगली कक्षा में शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन नए स्कूलों ने उनका डेटा पोर्टल पर आयात नहीं किया.

नतीजतन, ये ‘डिजिटल रूप से लापता’ हो गए हैं. विभागीय अधिकारी अब इन बच्चों को खोजने के लिए शिक्षकों पर भारी दबाव डाल रहे हैं. यहां तक कि वेतन रोकने की चेतावनी तक दे रहे हैं. UDISE+ पोर्टल शिक्षा मंत्रालय का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो छात्रों का नामांकन, ट्रांसफर, ड्रॉपआउट और प्रोग्रेशन ट्रैक करता है.

चिनहट ब्लॉक में सबसे ज्यादा बच्चे लापता

UDISE+ पोर्टल पर हर बच्चे का डिजिटल डेटा, जैसे पिन नंबर, आधार, जन्मतिथि इसमें दर्ज होता है. जब कोई बच्चा नया स्कूल जॉइन करता है, तो नए स्कूल को ‘ड्रॉप बॉक्स’ से उनका विवरण आयात करना होता है, जिससे डेटा स्वचालित रूप से अपडेट हो जाता है. लेकिन इसमें लापरवाही सामने आई है. इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रहा है.

बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय ने 27 सितंबर को चिन्हित किया कि नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में 10,569 बच्चों का डेटा अभी भी ड्रॉप बॉक्स में पड़ा है. सबसे अधिक प्रभावित चिनहट ब्लॉक है, जहां 1,691 बच्चे डिजिटली लापता पाए गए हैं. इसके बाद माल में 1,420, मलिहाबाद में 1,077 और काकोरी में 1,028 बच्चे अटके पड़े हैं.

ब्लॉक-वार ‘डिजिटली लापता’ बच्चों की संख्या

ब्लॉकों में ड्रॉप बॉक्स में अटके बच्चों की संख्या में बीकेटी में 980, सरोजनीनगर-839, साईगंज 777, मोहनलालगंज में 449 बच्चे लापता पाए गए हैं. इसे अलावा नगर-एक में 339, नगर-चार में +359 और नगर-दो, तीन में 967 बच्चें ड्रॉप बॉक्स में अटके पड़े हैं. ये आंकड़े विभाग की डिजिटल साक्षरता की कमी उजागर करते हैं.

क्यों हो रहे हैं बच्चे ‘लापता’?

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे डेटा गैप से सरकारी योजनाओं जैसे मिड-डे मील, छात्रवृत्ति या RTE (राइट टू एजुकेशन) लाभ की पहुंच प्रभावित होती है. वहीं, विभागीय जांच से पता चला है कि बच्चों के ड्रॉपआउट के कई कारण पारिवारिक परिस्थितियां हैं. करीब 15 प्रतिशत बच्चों ने आर्थिक तंगी या घरेलू जिम्मेदारियों के कारण पढ़ाई छोड़ दी.

BSA लखनऊ राम प्रवेश ने बताया, ‘ड्रॉप बॉक्स वाले बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है. इसके लिए बीईओ और शिक्षकों की टीमें लगाई गई हैं. जल्द ही सभी डेटा अपडेट कर लिया जाएगा.’ हालांकि, उन्होंने दबाव या चेतावनी की बात से इनकार किया. यह मुद्दा उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षा की डिजिटलीकरण चुनौतियों को उजागर करता है.