प्रयागराज बवाल: धारा 144 के बावजूद करछना में कैसे जुटी भीड़, ये चूक या लापरवाही?
प्रयागराज के करछना में 30 जून को हुए उपद्रव में 604 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिनमें से 75 को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस CCTV फुटेज और साक्ष्य जुटा रही है. धारा 144 के बावजूद भीड़ जुटने पर सवाल उठ रहे हैं और इंटेलिजेंस की चूक की बात सामने आ रही है. पुलिस ने आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है.
प्रयागराज के करछना में उपद्रवियों ने 30 जून बवाल मचाया था और तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया था. इसम मामले में कुल 604 लोगों पर कार्रवाई की गई है. इन सभी पर एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से 54 ऐसे लोग हैं जिनपर नामजद कार्रवाई की गई है. वहीं 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन उपद्रवियों पर सही तरीके से कार्रवाई की जा सके इसके लिए पुलिस इस मामले का सबूत जुटा रही है. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि मौके पर धारा 144 लागू थी उसके बावजूद भी वहां पर भीड़ कैसे जमा हो गई? क्या ये प्रशासन की चूक है या फिर लापरवाही?
हालांकि अब पुलिस मौके के सभी सीसीटीवी फुटेज को खंगाला रही है. इनमें से कई ऐसे थे जिन्होंने अपने चेहरे को ढककर रखा था. उन्हें ट्रेस करना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन पुलिस सभी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सबूत इकट्ठा कर रही है ताकि उन्हें सख्त सजा दिलाई जा सके.
डीसीपी यमुनानगर विवेक यादव ने बताया कि अब तक इसमें 75 नामजद आरोपियों को पर कार्रवाई की जा चुकी है और उन्हें जेल भेज दिया गया है. अज्ञात में 604 लोगों पर केस दर्ज किया गया है. अज्ञात आरोपियों को चिन्हित किया जा रहा है. आरोपियों को पकड़ने के लिए कई टीमें बनाई गई हैं. कानून के साथ खिलवाड़ करने वालों को बक्शा नहीं जाएगा.
धारा 144 लागू थी फिर भी कैसे जुटे लोग?
प्रयागराज के करछना के भड़ेवरा में तोड़फोड़ और बवाल हुआ. इस घटना के पीछे इंटेलीजेंस की चूक भी बताई जा रही है. भीम आर्मी चीफ को एयरपोर्ट व फिर सर्किट हाउस में रोके जाने की सूचना सोशल मीडिया पर दोपहर 12 बजे से ही वायरल होने लगी थी. ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि सोशल मीडिया सेल की निगरानी करने के लिए प्रशासन वहां पर क्यों एक्टिव नहीं था? स्थानीय लोगों के मुताबिक, उपद्रव करने वालो के मोबाइल में जिस तरह के मैसेज भेजे जा रहे थे उसे देखते हुए सतर्कता जरूरी थी.
रविवार की सुबह से ही न सिर्फ करछना बल्कि, आसपास के कई इलाकों से वहां पर भीड़ जुटती रही. उस समय स्थानीय पुलिस इसका अंदाजा कैसे नहीं लगा पाई? घटना के समय मौजूद लोगों ने बताया कि शुरुआती दौर में एक दर्जन के करीब पुलिस कर्मी वहां थे. बाद में कब हालात बिगड़े तब पीएसी और पुलिस बुलाई गई. निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी दो-ढाई हजार की संख्या में पहुंचे युवकों को एक जगह जमा क्यों होने दिया गया? पुलिस यह भी बताती हैं कि उपद्रवियों ने पेट्रोल बम का बैक अप ले रखा था. सवाल यही है कि यह सूचना पुलिस को पहले क्यों नहीं मिली?