लगभग विलुप्त हो चुकी दो नदियों को प्रयागराज में मिला नया जीवन, तपरी और कर्णावती की कहानी
मानवीय भूल और जलवायु परिवर्तन की भेंट चढ़ गई प्रयागराज की दो नदियों को योगी सरकार ने नया जीवन दिया है. लुप्त प्राय हो चुकी दोनों नदियां अब अपने पूरे प्रवाह के साथ इलाके में बह रही हैं.

नदियां मानव जीवन और पर्यावरण की प्राणवायु हैं. मानवीय लापरवाही और जलवायु परिवर्तन से छोटी छोटी नदियां लुप्तप्राय हो रही हैं. हालांकि, जनसहयोग ने इन्हें नया जीवन दिया है और ये नदियां पुनर्जीवित हो उठी हैं. प्रयागराज जिले की लपरी और कर्णावती नदी भी इसमें शामिल हैं.
लपरी और कर्णावती को मिला पुनर्जीवन
मानवीय भूल और जलवायु परिवर्तन की भेंट चढ़ गई प्रयागराज की दो नदियों को योगी सरकार ने नया जीवन दिया है. लुप्त प्राय हो चुकी दोनों नदियां अब अपने पूरे प्रवाह के साथ इलाके में बह रही हैं. सीडीओ हर्षिका सिंह बताती हैं कि प्रयागराज जिले के कोरांव इलाके की निश्चिंतपुर पहाड़ियों से निकलने वाली लपरी नदी 18 किमी का सफर तय करके 12 ग्राम पंचायतों से होते हुए बेलन नदी में गिरती थी.
2 साल में पूरा हुआ काम
इसी तरह मांडा ब्लॉक के मूर्तियादाह से निकलकर 19 किमी का रास्ता तय कर 15 गांवों से गुजरती हुई विंध्याचल में गंगा में समाहित हो जाती थी. सरकार की प्रेरणा से स्थानीय लोगों. स्वयं सेवी संस्थाओं, ग्राम प्रधान समूहों, जन प्रतिनिधियों, महिला स्वयं सहायता समूह और मनरेगा श्रमिकों ने 24 जून 2023 को इसके लिए सामूहिक संकल्प लेकर कार्य शुरू किया और अब दोनो नदियां अपने पुराने रूप में आ गई हैं.
40 हजार पेड़ लगाए गए
इसके लिए सरकार की तरफ से निरंतर सहयोग दिया गया. डिप्टी कमिश्नर मनरेगा स्व रोजगार गुलाब चंद बताते हैं कि इसके लिए नदियों में खुदाई हुई, तटबंध बनाए गए, छोटी छोटी नहरों को जोड़ा गया, तालाब खोदे गए. नदी के दोनो तरफ 40 हजार से अधिक पेड़ लगाए गए. दो वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद नदी का पूरा मार्ग पानी से भर गया. खेत लहलहा उठे. नदियों के किनारे जीवन अंगड़ाई लेने लगी.
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