संभल में बंद होंगे 181 प्राइमरी स्कूल… अखिलेश बोले- पूरे देश में आलीशान ऑफिस बना रही BJP बंद कर रही है स्कूल

उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में 181 प्राथमिक स्कूलों को बंद करने या दूसरे स्कूलों में मिलाने का आदेश जारी हुआ है. यहां पर ऐसे स्कूल जहां पर स्टूडेंट की संख्या कम है. इस तरह के 95 स्कूल पूरी तरह से बंद कर दिए जाएंगे, जबकि 86 स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है. वहीं स्कूल मर्जर पर अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी पूरे देश में आलीशान ऑफिस बनवा रही है, लेकिन स्कूल को बंद कर दिया जा रहा है.

स्कूल मर्जर पर क्या बोले अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में 181 प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं. इसमें 95 स्कूलों को पूरी तरह बंद कर ताला लगाया जाएगा. वहीं बचे हुए 86 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाएगा. यह कदम उन स्कूलों पर लागू किया गया है जिनमें पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 50 से कम है. स्कूलों को मर्ज करने की प्रक्रिया में इस बात का खासतौर पर ध्यान रखा जा रहा है मर्ज किए जाने वाले स्कूलों के बीच की दूसरी कम हो. यानी वे एक-दूसरे से लगभग 700 मीटर की दूरी पर ही स्थित हों. ऐसा इसलिए ताकि वहां पढ़ने वाले बच्चों को ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े. स्कूल मर्जर पर अखिलेश यादव ने कहा कि ये बीजेपी सरकार की साजिश है.

बीजेपी पूरे देश में आलीशान ऑफिस बना रहे

वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा इस सरकार में शिक्षा व्यवस्था को बदहाल बताया है. उन्होंने लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है. बीजेपी सरकार साजिश के तहत प्रदेश के 5000 प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर रही है. ये वही स्कूल हैं जिन्हें चुनाव के दौरान बूथ बनाया गया था और बीजेपी लगातार हार रही है. उन्होंने कहा कि अगर इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बंद हो जाएंगे तो गरीब बच्चे कहां पढ़ेंगे और बेटियां दूर के स्कूलों में कैसे पढ़ने जाएंगी?

24 जून को अखिलेश ने सोशल मीडिया पर सरकार से स्कूलों के विलय के नाम पर स्कूलों की संख्या न घटाने की अपील की.उन्होंने कहा कि एक तरफ बीजेपी शिक्षकों को नौकरी नहीं दे रही है, वहीं दूसरी तरफ स्कूलों की संख्या घटाकर पहले से नौकरी कर रहे लोगों की नौकरी छीनने की साजिश कर रही है. बीजेपी और उनके साथी पूरे देश में आलीशान ऑफिस बना रहे हैं, लेकिन स्कूल बंद कर रहे हैं. शिक्षा संघर्ष की ताकत बनती है, इसलिए बीजेपी इससे डरती है.

एक ही ग्राम पंचायत में किया गया स्कूलों को मर्ज

ज्यादातर स्कूलों को उसी ग्राम पंचायत में मर्ज किया गया है. बच्चों को ज्यादा परेशानी न हो, इसलिए ऐसा किया गया है. हालांकि, गांव के लोगों ने इस फैसले का विरोध किया है. गांववालों का कहना है कि स्कूलों के बीच की दूरी 3 से 5 किलोमीटर तक हो सकती है. इतनी दूरी की वजह से छोटे बच्चों को स्कूल जाना मुश्किल और असुरक्षित हो जाएगा. बच्चों की मुश्किल बढ़ेगी. खासकर किसान, मजदूर और गरीब परिवारों के बच्चों की शिक्षा पर इसका अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा.