19 साल पहले किया गया वादा आज भी अधूरा, 19वीं बरसी पर याद आए ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान’!

शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की 19वीं बरसी पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई. उनके परिजनों ने कहा कि सरकार ने कैंट रेलवे स्टेशन पर उनकी प्रतिमा लगाने को लेकर जो वादा किया था, वो अब भी अधूरा हैं. उनकी यादें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं.

19 साल पहले किया गया वादा आज भी अधूरा, 19वीं बरसी पर याद आए ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान’!
शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की 19वीं बरसी के मौके पर उनकी कब्र पर फूल चढ़ाकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान उनकी कब्र पर दुआख्वानी की गई. उनकी यादों को ताजा करने के लिए वहां दर्जनों लोग इकट्ठा हुए.
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उस्ताद के पौत्र आफाक अहमद और ज़ाकिर हुसैन ने शहनाई पर उनका प्रिय नौहा बजाया. इस भावुक क्षण में उनकी आत्मा को शांति देने के लिए दुआ भी पढ़ी गई. इसके साथ ही देश की अमन- शांति के लिए दुआ मांगी गई.
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बनारस से आजीवन प्रेम को लेकर यहीं के रहने वाले शकील अहमद ने बताया कि उन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया, फिर भी वो ताउम्र बनारस में ही रहे. इस दरमियान उनके पास कई देशों की नागरिकता के प्रस्ताव आए लेकिन बनारस से अपने खास लगाव के चलते उन्होंने यहां से जाना मुनासिब नहीं समझा.
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2006 में उनके इंतकाल के बाद यूपी सरकार ने घोषणा की थी कि कैंट रेलवे स्टेशन पर खान साहब की प्रतिमा लगाई जाएगी. इसके साथ ही कैंट रेलवे स्टेशन पर शहनाई की धुन को भी बजाने को लेकर बात की गई थी. लेकिन 19 साल बीतने के बाद भी ये वादे आज तक पूरे नहीं हो सके हैं.
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उनके परिजनों ने सरकार से आग्रह किया कि खान साहब के पुराने घर को संग्रहालय बनाया जाए. साथ ही पीएम मोदी से परिवार की आर्थिक मदद की भी बात की गई है. ताकि उनकी विरासत को संरक्षण मिलता रहे.
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उनके परिवार वालों का कहना है कि जिस शहनाई की गूंज ने आज़ादी की पहली सुबह का स्वागत किया था, वही खान साहब अब धीरे-धीरे भुलाए जा रहे हैं. उनकी बरसी और जयंती महज औपचारिकता बनकर रह गई है, जो बेहद दुःखद है.
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