द्वापर युग से जुड़ा है विंध्याचल धाम का इतिहास, 160 सीढ़ियां चढ़ने पर पूरी होती हैं मनोकामनाएं
मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में स्थित मां अष्टभुजा देवी मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. कंस के चंगुल से मुक्त होकर देवी ने यहां भक्तों का कल्याण किया. 300 फीट ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु मनोकामनाएं लेकर आते हैं, जिनकी मुरादें पूरी होती हैं.
मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में स्थित मां अष्टभुजा देवी मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. कंस के चंगुल से मुक्त होकर देवी ने यहां भक्तों का कल्याण किया था.
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विंध्य पर्वत पर 300 फीट ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर अब रोपवे से भी सुलभ है. नवरात्रि में यहां लाखों श्रद्धालु मनोकामनाएं लेकर आते हैं, जिनकी मुरादें पूरी होती हैं.
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अष्टभुजा देवी का मंदिर विंध्याचल धाम स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर पर जाने के लिए 160 पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है.
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मां अष्ठभुजा देवी की प्रतिमा एक लंबी और अंधेरी गुफा में है. गुफा के अंदर श्रद्धालु जब घुसते हैं तो तब तक झुके या बैठे रहते हैं जब तक मां का दर्शन नहीं हो जाता है.
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प्राकृतिक गोद में बसा मां अष्टभुजा मंदिर बड़ा दिव्य और रमणीक है. सुंदर दृश्यों के कारण भक्तों के साथ-साथ पर्यटकों के बीच भी लोकप्रिय है.
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मां अष्ठभुजा देवी का दर्शन करने के लिए वैसे तो हर दिन लोग हजारों की संख्या पहुंचते हैं मगर नवरात्रि में इसकी संख्या लाखों में पहुंच जाती है.
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मां अष्ठभुजा को ज्ञान का देवी भी कहा जाता है, जो भी भक्त मनोकामना लेकर देवी के दर्शन के लिए आते हैं क्योंकि सभी मनोकामना पूर्ण होती है.