सुबह मिलता है खाया हुआ लड्डू, कूंची हुई दातून.. कन्हैया यहां करते हैं राधारानी का शृंगार-Photos

हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, मथुरा में एक ऐसी जगह है जहां भगवान कृष्ण, आज भी राधारानी का शृंगार करने के लिए आते हैं. सुबह पुजारी के भोग का दातुन चबा हुआ मिलता है. जानते हैं इस मंदिर की विशेषता के बारे में.

मथुरा के वृंदावन में रहस्यमही निधिवन मंदिर है जहां, भगवान आज भी रासलीला करते हैं. यहां ठाकुर बांके बिहारी महाराज की प्राकट्य स्थली स्वामी हरिदास महाराज ने अपनी भजन साधना स्थल को प्रकट किया था.
वृंदावन के ये निधिवन मंदिर यमुना किनारे के पास मौजूद है. स्वामी हरिदास महाराज का जन्म 1530 में हुआ था और उसके बाद वह 25 साल की आयु में यानी 1560 में बांके बिहारी को प्रकट करने के लिए अपनी भजन साधना स्थली में तपस्या करने लगे.
जिस स्थान पर उन्होंने तपस्या की उस स्थान को निधिवन राज के नाम से जाना जाता है. जब 1560 में स्वामी हरिदास महाराज ने अपनी तपस्या प्रारंभ की तो लगभग 7 साल बाद 1567 में ठाकुर बांके बिहारी महाराज स्वामी हरिदास महाराज ने भजन साधना स्थल से खुश होकर उन्हें दर्शन दिया था. वहीं निधिवन मंदिर के अंदर उनकी समाधि आज भी बनी हुई है.
वहीं इस मंदिर के अंदर एक रहस्य और है जहां कहा जाता है कि यह छोटे-छोटे पेड़ पौधे जो की टेढ़े-मेढ़े अवस्था में लगे हुए हैं. यह पेड़ पौधे नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण की सखियां लता पता हैं जो आज भी रात के समय भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रासलीला करते हैं तो तब यह लता पता हैं सखियों का रूप धारण कर लेती हैं.
मंदिर के सेवायत रोहित गोस्वामी कहते हैं कि इसे रंग महल के नाम से जाना जाता है जहां भगवान कृष्ण वहां स्वयं राधा रानी का शृंगार आज भी रात्रि के समय करते हैं और उसे शृंगार के लिए भगवान खुद आते हैं. वहां पर पुजारी भगवान के भोग के लिए प्रसाद पान दातुन आदि छोड़ते हैं और जब वह सुबह उसको खोलते हैं तो पान चबा हुआ लड्डू खिला हुआ मिलता है.

मंदिर के सेवायत रोहित गोस्वामी कहते हैं कि इसे रंग महल के नाम से जाना जाता है जहां भगवान कृष्ण वहां स्वयं राधा रानी का शृंगार आज भी रात्रि के समय करते हैं और उसे शृंगार के लिए भगवान खुद आते हैं. वहां पर पुजारी भगवान के भोग के लिए प्रसाद पान दातुन आदि छोड़ते हैं और जब वह सुबह उसको खोलते हैं तो पान चबा हुआ, लड्डू खिला हुआ मिलता है.