कहां ‘गायब’ हो गए दोनों यादव कथावाचक? तलाश रही SIT, घर पे लटके मिले ताले
इटावा में जाति छिपाने के आरोप में यादव कथावाचकों की पिटाई के मामले की जांच जारी है. हांलाकि इसे लेकर अब ये बात सामने आ रही है कि दोनों कथावाचक फरार हो गए है. मामले की जांच के लिए जब पुलिस उनके घर पहुंची तो दरवाजों पर ताले लटकते नजर आए. हांलाकि पुलिस उनकी तलाश के लिए लगातार दबिश दे रही है.

इटावा में यादव कथावाचकों के मामले में एक नया मोड़ सामने आ रहा है. इस कांड के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. हांलाकि जब पुलिस मामले की पूछताछ के लिए दोनों यादव कथावाचकों मुकुट मणि यादव और संत यादव के घर पहुंची तो दोनों मौके पर नही मिले, जबकि उनके घर पे ताले लटकते हुए दिखाई दिए. हालांकि उन्हें पकड़ने के लिए इनपुट के आधार पर पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है.
झांसी पुलिस को सौपीं गई जांच
इटावा में यादव कथावाचकों की पिटाई के बाद चोटी काटने और मूत्र छिड़कने का मामला सामने आया था. इसके बाद इस केस की जांच झांसी पुलिस को सौंप दी गई थी. झांसी पुलिस को 90 दिनों के भीतर मामले की रिपोर्ट सौंपनी है. झांसी पुलिस ने इसके लिए एक टीम गठित की है.
स्विच ऑफ हैं फोन
इस टीम के लिए पूंछ थाना प्रभारी जेपी पाल को जांच टीम का प्रभारी बनाया है. मामले की जांच के लिए टीम दोनों पक्षों से लगातार पूछताछ करने की कोशिश कर रही है. इसी सिलसिले में पुलिस जब कथावाचकों के गांव पहुचीं तो पता चला कि वो लोग फरार चल रहे हैं. पड़ोसियों के मुताबिक कई दिनों से उनका कोई अता- पता नही है. पुलिस ने जब उनसे फोन कॉल के जरिए संपर्क करने की कोशिश की तो उनके फोन स्विच ऑफ आ रहे हैं.
मिले थे दो आधार कार्ड
इटावा कांड के दौरान इन कथावाचकों के पास 2 अलग- अलग टाइटल वाले आधार कार्ड बरामद हुए थे. हांलाकि इन दोनों आधार कार्डों में नंबर सेम थे लेकिन मूल नाम के बाद अलग- अलग जातियों का जिक्र था. इसके बाद बवाल हुआ और मामले ने प्रदेशभर में तूल पकड़ लिया. इसे लेकर कई ब्राह्मण संगठनों ने अपनी आपत्ति जाहिर की थी. उनका कहना है कि ये दोनों कथावाचक अपनी जाति छिपा के धोखाधड़ी करके का काम कर रहे थे.



