‘मुर्गी चुराई, पर हाथ न आई…’, अपने खिलाफ मुकदमों पर खुलकर बोले आजम खान, योगी सरकार को घेरा

23 महीने बाद जेल से रिहा होने के बाद सपा नेता आजम खान ने सरकार पर खूब तंज कसे हैं. उन्होंने कहा कि पहले लगा राजनीति सेवा है, पर अब पता चला सरकार का असली काम ज़ुल्म ढाना और लोगों को बर्बाद करना है. उन्होंने कहा कि उन्हें मुर्गी चोरी जैसे मुकदमों और जेल में मिली. जेल में मिली यातनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके केवल दो ही बैंक खाते हैं.

सपा नेता आजम खान

23 महीने जेल काटकर घर लौटे सपा के दिग्गज नेता आजम खान ने सरकार पर खूब तंज कसे हैं. एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनके ऊपर मुर्गी चोरी का इलजाम लगा, लेकिन वह मुर्गी भी हाथ नहीं आई. इस दौरान उन्होंने कहा कि जेल जाने से पहले उन्हें पता था कि विधायक हो या सांसद, राजनीति में आने का मकसद लोगों की सेवा करना है. लेकिन जेल जाने के बाद पता चला कि सरकार का असली काम तो कुछ और ही है.

उन्होंने कहा कि अब उन्हें पता चला कि सरकार का असली काम तो लोगों पर जुल्म ढाना है. यह भी पता चला कि सरकार की ताकत लोगों से नफरत करने, किसी को बर्बाद, तबाह या नेस्तनाबूत करने की भी होती है. उन्हें ये पता था कि सरकार नाजायज तरीके से काम करने वालों की जांच कराने के लिए होती है, लेकिन अब उन्हें पता चला है कि सरकार खुद नाजायज काम कराने के लिए होती है. इस इंटरव्यू में आजम खान ने अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को लेकर भी अपना दर्द अपने अंदाज में बया किया.

मुर्गी भैंंस चुराने की भी सजा मिली

उन्होंने कहा कि मुर्गी, भैंस, बकरी, फर्नीचर और किताबें चोरी करने की सजा मिली है. आरोप यह भी है कि ‘एक दिन मैंने कहा कि जाओ इनका मुर्गा उठा ले ओ’. मुर्गी चोरी कराई लेकिन मुर्गी हाथ ना आई. ना खुदा मिला न विसाले सनम. उन्होंने कहा कि ईडी-सीबीआई और इनकम टैक्स वाले उनके घर में दीवार कूद कर आए थे. वो नोट गिनने की बड़ी बड़ी मशीनें लेकर आए थे, लेकिन यहां पता चला कि उनके पास केवल साढ़े तीन हजार रुपये मिले. बेटे अब्दुल्ला के पास 11 हजार तो बड़े बेटे के पास केवल 600 रुपये मिले थे.

केवल दो बैंक खाते

आजम खान ने कहा कि पूरी दुनिया में उनके नाम से केवल दो बैंक खाते हैं. एक खाता दिल्ली में संसद की सैलरी और पेंशन का, तथा दूसरा खाता विधानसभा की सैलरी और पेंशन का है. इसके अलावा उनके पास ना तो कोई जमीन है और ना ही कोई संपत्ति. उन्होंने कहा कि आज वह दौर है कि ग्राम प्रधान भी काफिले के साथ चलता है, लेकिन उन्हें तो एक रिक्शे वाला भी हाथ देकर रोक लेता था और वह रूककर उसकी बात सुनते थे.

जेल में भी जुल्म की इंतिहा

बात ही बात में आजम खान जेल के अंदर के कई किस्से सुना डाले. उन्होंने बताया कि उसी जेल में 10-10 मर्डर करके आए लोगों को सारी सहुलियत मिलती थी. वह अखबार भी पढ़ते थे और टेलीफोन भी कर सकते थे, लेकिन उनके पास केवल तनहाइयां थीं. इसकी वजह से अपने मालिक के अलावा किसी और के बारे में सोचने की क्षमता ही नहीं बची थी. उन्होंने कहा कि उन्हें तो यह भी नहीं पता होता था कि जेल के बाहर तो दूर उसी जेल में अपनी कोठरी के बाहर क्या हो रहा है. वह खुद भी बाहर के बारे में सोचना छोड़ दिए थे.