बरेली हिंसा पर गरमाई सियासत, सपा प्रतिनिधिमंडल कल पीड़ितों से करेगा मुलाकात
बरेली में 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर विवाद के बाद हुई हिंसा से तनाव गहरा गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर सरकार को घेरा है. साथ ही 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बरेली भेजने का फैसला किया है. यह टीम 4 अक्टूबर को पीड़ितों से मिलेगी, जिससे यूपी की सियासत में हलचल तेज हो गई है.

उत्तर प्रदेश के बरेली में ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर विवाद को लेकर हुई हिंसक झड़पों के बाद तनावपूर्ण शांति बनी हुई है. प्रशासन का दावा है कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बड़ा कदम उठाते हुए 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया है, जो कल 4 अक्टूबर को बरेली पहुंचेगा.
इस फैसले से राज्य की सियासत में नई सरगर्मी पैदा हो गई है, जहां भाजपा सरकार पर ‘मुस्लिम विरोधी’ होने का आरोप लग रहा है. वहीं, अब समाजवादी पार्टी अपना 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है. बरेली में 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़क गई थी. इसमें पुलिस पर पथराव और हिंसा की घटना समाने आई थी, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करने पर मजबूर होना पड़ा था.
डेलीगेशन अखिलेश यादव को सौंपेगी रिपोर्ट
समाजवादी पार्टी के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में 14 सदस्यीय टीम गठित की है. इसमें सांसद हरेंद्र मलिक, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, मोहिबुल्लाह नदवी, नीरज मौर्य समेत वीरपाल सिंह यादव, प्रवीण सिंह ऐरन, शिवचरन कश्यप, शमीम खान सुल्तानी, अताउर्रहमान, शहजिल इस्लाम अंसारी, भगवत शरण गंगवार और शुभलेश यादव शामिल हैं.
समाजवादी पार्टी के 5 सांसद डेलीगेशन में शामिल हैं. बरेली की रिपोर्ट अखिलेश यादव को सौंपी जाएगी. यह टीम मुख्य रूप से अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधियों पर केंद्रित है, जो सपा की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति को मजबूत करने का संकेत देती है.
ताकत का प्रदर्शन कमजोरी का संकेत- अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घटना पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा, ‘सरकार का ताकत दिखाना उसकी कमजोरी का प्रमाण है. शासन संवाद और सद्भाव से चलता है, लाठीचार्ज से नहीं.’ अखिलेश ने भाजपा सरकार को “हिंदुत्ववादी और अल्पसंख्यक विरोधी” बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा. विपक्षी नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की, जबकि योगी सरकार ने इसे “शांति भंग करने की साजिश” बताया.
इस बीच, सपा की यूपी इकाई के अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने जारी पत्र में अखिलेश के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि प्रतिनिधिमंडल बरेली जाकर पीड़ित परिवारों से मिलेगा, उनकी समस्याओं का निदान करेगा. टीम डीआईजी और कमिश्नर से बात करेगी और फिर प्रदेश कार्यालय को विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी.
26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा
बरेली के कोतवाली क्षेत्र में 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के तहत जिलाधिकारी को शांतिपूर्ण ज्ञापन देने जा रहे थे. लेकिन स्थानीय मौलवी तौकीर रजा खान की ओर से दिए गए बुलावे पर हजारों लोग इकट्ठा हो गए. प्रशासन ने धारा 163 बीएनएसएस के तहत प्रदर्शन पर रोक लगा रखी थी, जिसके बावजूद भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया. जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए.
पुलिस के अनुसार, यह हिंसा “पांच दिन पहले से सुनियोजित साजिश” थी. रातभर छापेमारी में 81 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए, जिनमें मुख्य आरोपी मौलवी तौकीर रजा शामिल हैं. तीन लोगों को कथित हाफ एनकाउंटर में मार गिराया गया, जबकि चार बारात घरों को सीज कर दिया गया. कई मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए गए. साथ ही घटना के बाद इंटरनेट सेवाएं 48 घंटे के लिए निलंबित कर दी गईं थी.