दिल्ली बुलाया, BJP जॉइन करने का दिया ऑफर; अमित शाह को लेकर क्या बोले शिवपाल यादव? मचा सियासी हड़कंप

शिवपाल सिंह यादव ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है. कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें बीजेपी ज्वाइन करने का ऑफर दिया था. कहा कि मंत्री बनने के लिए पार्टी छोड़ना उन्हें मंजूर नहीं था. इसलिए उन्होंने गृहमंत्री के ऑफर को ठुकरा दिया था. शिवपाल सिंह यादव के इस बयान के अब अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं.

शिवपाल सिंह यादव, अमित शाह और अखिलेश यादव Image Credit:

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के एक और बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी भूचाल पैदा कर दिया है. सपा नेता शिवपाल ने दावा किया है कि उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली बुलाया था. उन्हें बीजेपी जॉइन करने का ऑफर दिया था. भरोसा दिया था कि बीजेपी में उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा. हालांकि उन्होंने अमित शाह के ऑफर को ठुकरा दिया था. शिवपाल सिंह यादव ने यह सनसनीखेज खुलासा एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में किया है.

उन्होंने कहा कि साल 2022 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली बुलाकर बीजेपी में शामिल होने का न्यौता दिया था. इसके लिए गृहमंत्री ने उनसे सीधा संपर्क किया था. उन्हें मंत्री बनाने का भी ऑफर था. चूंकि वह पहले भी पार्टी और सरकार में उच्च पदों पर रह चुके हैं और मंत्री भी रहे हैं. ऐसे में उन्हें अब किसी पद का लालच नहीं है. इसलिए वह मंत्री बनने के लिए अपनी पार्टी को नहीं छोड़ सकते थे. उन्होंने गृह मंत्री को पूरी स्थिति बताते हुए उनका ऑफर पूरे सम्मान के साथ ठुकरा दिया था.

शिवपाल सिंह यादव के इस बयान से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच गया है. इस बयान को समाजवादी पार्टी के लिए एक संदेश माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव अपने सिद्धांतों को लेकर गंभीर रहने वाले नेता है. वहीं बीजेपी और कांग्रेस के लोग भी उनके इस बयान का अर्थ अलग अलग निकाल रहे हैं. दरअसल, शिवपाल के इस बयान से यह भी साफ हो गया है कि वह बीजेपी में शीर्ष नेतृत्व के कितने करीब हैं. दरअसल, खुद शिवपाल ने पहली बार और इतने स्पष्ट शब्दों में बीजेपी के साथ अपने संभावित जुड़ाव की बात को सार्वजनिक किया है.

अखिलेश कैसे बने CM? शिवपाल ने बताया

पॉडकास्ट में बात करते हुए शिवपाल यादव ने एक और बड़ा खुलासा किया. यह खुलासा साल 2012 के उस फैसले को लेकर था, जिसमें अखिलेश को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था. शिवपाल ने कहा कि उस समय विधानसभा चुनाव में सपा ने शानदार जीत हासिल की थी. उस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर सैफई में गहन चर्चा हुई. होली के मौके पर मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, प्रोफेसर राम गोपाल यादव और अखिलेश यादव एक कमरे में मौजूद थे. बाहर मीडिया का जमावड़ा था और सभी लोग यह जानना चाहते थे कि यूपी का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. उन्होंने खुद नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को एक साल के लिए सीएम बनने और फिर कुर्सी अखिलेश को देने को कह रहे थे, लेकिन राम गोपाल और अखिलेश ने इसके पक्ष में नहीं थे. उनकी जिद की वजह से अखिलेश को सीएम बनाया गया. इस फैसले के बाद शिवपाल और अखिलेश के बीच दूरी बननी शुरू हो गई.

मुलायम की सलाह पर बनाई पार्टी

शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि उन्होंने हमेशा मुलायम सिंह यादव का सम्मान किया और उनके खिलाफ कभी एक शब्द भी नहीं बोला. मुलायम सिंह ने भी उन्हें खूब मान दिया. बल्कि साल 2018 में जब उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई थी, तो इसके लिए भी प्रेरणा मुलायम सिंह यादव ने ही दी थी. कहा कि नेताजी ने उन्हें अखिलेश के साथ मतभेद सुलझाने के लिए बातचीत करने को कहा था, लेकिन जब अखिलेश ने न तो फोन उठाया और न ही बाद में जवाब दिया तो नेताजी ने अपनी पार्टी बनाने को कहा था. इसके बाद शिवपाल ने 2018 में सपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई. हालांकि, 2022 में उन्होंने अपनी पार्टी का सपा में विलय कर दिया और फिर से अखिलेश यादव के साथ मिलकर काम करने लगे.

बयान के क्या हैं मायने?

शिवपाल सिंह के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. समाजवादी चिंतक दीपक मिश्रा कहते हैं कि उनके बयान से यह तो साफ है कि वह अपनी सैद्धांतिक समाजवादी राजनीति और मुलायम सिंह यादव के सिद्धांतों के प्रति वफादार रहे हैं. बीजेपी का ऑफर ठुकराकर उन्होंने यह दिखाया कि वह केवल सत्ता के लालच में फैसले नहीं लेते. यह खुलासा न केवल उनके राजनीतिक सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उजागर करता है, बल्कि यूपी की सियासत में सपा और बीजेपी के बीच की रणनीतिक जंग को भी सामने लाता है.