नोएडा एयरपोर्ट पर कैलीब्रेशन फ्लाइट का दूसरा ट्रॉयल पूरा, अब मिलेगा DGCA एयरोड्रोम का लाइसेंस
नोएडा एयरपोर्ट पर कैलीब्रेशन फ्लाइट का दूसरा ट्रायल मंगलवार को सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. रनवे 28 पर विमान की सफल लैंडिंग के साथ, एयरपोर्ट को एयरोड्रोम लाइसेंस मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. इस ट्रॉयल में नेविगेशन, कम्युनिकेशन और रडार सिस्टम सहित सभी महत्वपूर्ण मानकों की गहन जांच की गई. उम्मीद है कि अब डीजीसीए जल्द ही लाइसेंस जारी करेगा, जिसके बाद नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन की तारीख तय होगी.
नोएडा एयरपोर्ट को एयरोड्रोम लाइसेंस मिलने का रास्ता साफ हो गया है. एयरपोर्ट के रनवे 28 पर मंगलवार को विमान की सफल लैंडिंग हो गई. इसी के साथ कैलीब्रेशन फ्लाइट का दूसरा ट्रायल सफलता पूर्वक पूरा हो गया है. फ्लाइट ट्रायल रनवे के दोनों छोर से किया गया. इस दौरान यहां नैविगेशन, कम्युनिकेशन और रडार सिस्टम समेत अन्य सभी पहलुओं की जांच की गई. इस प्रॉसेस के बाद अब DGCA की ओर से जल्द ही एयरोड्रोम का लाइसेंस जारी हो सकता है. यह लाइसेंस मिलते ही एयरपोर्ट के उद्घाटन तारीख तय हो जाएगी.
इस ट्रॉयल के पूरा होने के बाद अब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट संचालन की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है. अधिकारियों के मुताबिक इस ट्रॉयल के लिए मंगलवार की सुबह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अधिकारी एयरपोर्ट पहुंच गए. इसके बाद विमान की रनवे 28 पर सफल लैंडिंग कराई गई. दिल्ली से उड़ान भरकर यह विमान सुबह सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर नोएडा एयरपोर्ट पहुंचा. इसके बाद विमान की तय मानकों के मुताबिक सफल लैंडिंग कराई गई.
इन मानकों पर हुआ परीक्षण
अधिकारियों के मुताबिक इस ट्रॉयल में खासतौर पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम, लोकलाइजर, ग्लाइड पाथ, नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम्स आदि मानकों पर जांच की गई. अधिकारियों के मुताबिक विमान की लैंडिंग इन सभी मानकों पर प्रफेक्ट रही है. इससे पहले रनवे 10 पर बीते शुक्रवार को विमान की सफल लैंडिंग कराई गई थी. इसके बाद रनवे 28 पर गुरुवार को टेस्टिंग होनी थी, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से टेस्टिंग रद्द कर दी गई.
डीजीसीए को जाएगी रिपोर्ट
चूंकि इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आईसीएओ) के मानकों पर कैलिब्रेशन प्रक्रिया सफल रही है. इस दौरान एयर ट्रैफिक मूवमेंट ऑटोमेशन सिस्टम, कम्युनिकेशन सिस्टम, नेविगेशन उपकरणों और सर्विलांस सिस्टम ठीक तरह से काम करता पाया गया. ऐसे में इन सभी का डेटा कलेक्शन कर पूरी रिपोर्ट डीजीसीए को भेजी जाएगी. इसके बाद डीजीसीए अपने स्तर पर रिपोर्ट की समीक्षा करेगा और सबकुछ ठीक पाए जाने पर एयरोड्रोम लाइसेंस जारी करेगा.
