एलडीए घोटाला: मुलायम की समधन अंबी बिष्ट पर विजिलेंस का शिकंजा, 9 साल बाद FIR
उत्तर प्रदेश की राजनीति के बड़े नाम मुलायम सिंह यादव की समधन पर एफआईआर दर्ज हुई है. वो मुलायम सिंह यादव की बहु अपर्णा यादव की मां हैं. अंबी बिष्ट लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की पूर्व संपत्ति अधिकारी रह चुकी हैं. उनपर भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोपों के तहत यूपी विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज की है. यह मामला 2016 के जानकीपुरम प्रियदर्शिनी भूखंड योजना में सैकड़ों करोड़ की जमीन के अनियमित आवंटन से जुड़ा है, जिसमें अंबी बिष्ट और चार अन्य एलडीए अधिकारियों पर अपात्र व्यक्तियों को भूखंड आवंटित कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे प्रभावशाली परिवारों में शुमार यादव खानदान एक बार फिर सुर्खियों में है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट पर भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का गंभीर आरोप लगा है. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की तत्कालीन संपत्ति अधिकारी रहीं अंबी बिष्ट जो भाजपा नेत्री अपर्णा यादव की मां हैं. उनके खिलाफ यूपी विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज की है.
कहानी की शुरुआत होती है 2016 से, जब लखनऊ की जानकीपुरम प्रियदर्शिनी भूखंड योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ. एलडीए के तहत विकसित इस योजना में सैकड़ों करोड़ों की जमीन का आवंटन कथित तौर पर नियमों को ताक पर रखकर किया गया. अंबी बिष्ट उस वक्त एलडीए में संपत्ति अधिकारी के पद पर तैनात थीं. आरोप है कि उन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर अपात्र लाभार्थियों को भूखंड आवंटित किए, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा. 23 नवंबर 2016 को राज्य सरकार ने इस घोटाले की खुली जांच के आदेश दिए थे, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा.
9 साल बाद एफआईआर दर्ज
अब, नौ साल बाद, विजिलेंस की लखनऊ यूनिट ने आखिरकार एफआईआर दर्ज कर दी है. एफआईआर में अंबी बिष्ट के अलावा चार अन्य एलडीए अधिकारी नामजद हैं. तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह, उप सचिव देवेंद्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणें और वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता. इन सभी पर भूखंडों के पंजीकरण में हेराफेरी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप हैं.
आय से अधिक संपत्ति का भी लग चुका है आरोप
सूत्रों के मुताबिक, जांच में पाया गया कि अपात्र व्यक्तियों को बैनामा (ट्रांसफर डीड) जारी कर सरकारी धन हड़पा गया. विजिलेंस अब इन बैनामों की बारीकी से पड़ताल करेगी, जिसमें यह भी देखा जाएगा कि कितनी रकम अवैध रूप से वसूली गई और कहां खर्च हुई. यह पहली बार नहीं है जब अंबी बिष्ट का नाम विवादों से जुड़ा हो.
लखनऊ नगर निगम में 25 साल से ज्यादा समय तक तैनात रहने वाली अंबी पर पहले भी आय से अधिक संपत्ति और भूमि आवंटन में पक्षपात के आरोप लग चुके हैं. 2015 में सपा सरकार के दौरान, उनके पति अरविंद सिंह बिष्ट (एक पूर्व पत्रकार) के नाम चांदगंज योजना में 12,000 वर्ग फुट की करोड़ों की जमीन का पट्टा आवंटित होने का मामला सुर्खियों में रहा.
मां पर आरोप से चर्चा में अपर्णा यादव का परिवार
एलडीए ने बाद में इसे स्थगित कर दिया, लेकिन विवाद थमा नहीं. हाल ही में 2022 में उनका तबादला बाराबंकी हो गया, जिसे राजनीतिक सर्कल में ‘रसूख के खिलाफ कार्रवाई’ के रूप में देखा गया. अपर्णा यादव, जो सपा से भाजपा में शामिल होकर लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव लड़ चुकीं परिवार के इन विवादों से खुद को अलग रखने की कोशिश की है. लेकिन, मां पर लगे इस आरोप ने एक बार फिर यादव परिवार की चर्चा की हो रही है. इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक समानांतर मामले में सख्त रुख अपनाया है. बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड के पूर्व पदाधिकारियों प्रवीन सिंह बाफिला और लाखन सिंह बलियानी पर अपात्रों को करोड़ों की जमीन बैनामा करने और पैसा हड़पने का आरोप है.
कोर्ट ने ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की जांच से असंतुष्टि जताते हुए मामले को यूपी विजिलेंस को सौंप दिया. जस्टिस पंकज भाटिया की एकलपीठ ने कहा कि याचिका में दाखिल तथ्यों से साफ है कि सरकारी तंत्र की ढिलाई से जांच राजनीतिक दबाव या अन्य कारणों से प्रभावित हो रही है. हड़पा गया धन वापस लाने के प्रयास भी नाकाफी हैं. कोर्ट ने 25 सितंबर तक पहली रिपोर्ट तलब की है.