‘मंत्री बन गए तो ABVP को भूल गए…’ पिटाई कांड पर कार्यकर्ताओं ने लगाए आरोप

बाराबंकी के रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी मामले में ABVP के कार्यकर्ताओं की पिटाई के बाद सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य श्रृष्टि सिंह सहित कई छात्र नेताओं का कहना है कि संगठन से ही निकलकर कई लोग सरकार में मंत्री बन गए हैं, लेकिन इस मुद्दे पर वे चुप्पी साधे हुए हैं.

कार्यकर्ताओं ने लगाए आरोप

यूपी के बाराबंकी में आंदोलन कर रहे ABVP कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज मामले में सियासत गर्माती जा रही है. इस मामले को लेकर डैमेज कंट्रोल करने की भी कोशिश जारी है. सरकार के कई मंत्री कहीं न कही भी ABVP से ही निकल के आए हैं. ऐसे में छात्र नेता इन मंत्रियों के ढुलमुल रवैए और ABVP कार्यकर्ताओं की पिटाई पर खुलकर न बोलने के चलते विद्यार्थी परिषद के कई छात्र नेता उन्हें खरी- खोटी सुना रहे हैं.

उनका कहना है परिषद की पॉलिटिक्स से मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में आए कई नेता आज सरकार में मंत्री हैं, लेकिन जब संगठन के छात्रों की पिटाई हुई उसपर वे चुप्पी साधे हुए हैं. ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य श्रृष्टि सिंह सहित कई छात्र नेताओं ने मंत्रियों पर ऐसे आरोप लगाए हैं.

राजभर के बयान पर भड़क गए छात्र

पुलिस के पिटाई कांड के बाद छात्रों के का जहां एक तरफ प्रदर्शनों सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था. तो इसी बीच यूपी सरकार में मंत्री ओपी राजभर पर ABVP के छात्रों के लिये गुंडा जैसे शब्दों के प्रयोग करने के आरोप लगे. जिसके बाद छात्र और भड़क गए. इसके बाद इसपर उनकी पार्टी की सफाई भी सामने आई. इधर ओपी राजभर की डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से मुलाकात की तस्वीर भी सामने आई हैं. फिलहाल हालात ये हैं कि ABVP अब तक सरकार एक्शन से संतुष्ट नहीं है.

ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य सृष्टि सिंह का कहना है कि संगठन ने सरकार के सामने 4 मांगें रखी हैं. उनका कहना है कि इसके लिए सरकार को 48 घंटे का समय भी दिया गया है. अगर ये मांगें पूरी नहीं हुईं तो पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

  • लाठीचार्ज घटना में संलिप्त पुलिसकर्मियों व बाहरी गुंडों पर मुकदमा दर्ज कर कठोरतम कार्रवाई हो.
  • विधि पाठ्यक्रम के अवैध संचालन की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित किया जाए तथा विश्वविद्यालय को बंद किया जाए.
  • उच्च शिक्षा परिषद के सचिव द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर विश्वविद्यालय पर कठोर कार्रवाई की जाए.
  • लगभग 6 बीघे सरकारी भूमि पर विश्वविद्यालय के अवैध कब्जे और तहसीलदार कोर्ट द्वारा लगाए गए ₹27.96 लाख जुर्माने व कब्जा हटाने के आदेश को तत्काल लागू किया जाए और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण पर बुल्डोजर चलवाया जाए.