एशिया का सबसे बड़ा प्रासेसिंग केंद्र, फिर क्यों गाजीपुर में उजड़ गई अफीम की खेती? देखें Photos
देश में कई जगह अफीम की खेती होने लगी है. इन सभी स्थानों से अफीम की फसल प्रॉसेसिंग के लिए इस फैक्ट्री में लाई जाती है और तैयार माल को सील पैक कर देश ही नहीं दुनिया भर में भेजा भी जाता है.
उत्तर प्रदेश का गाजीपुर एक समय में अफीम की खेती के लिए मशहूर था. यहां की मिट्टी में पैदा हुई अफीम की डिमांड पूरी दुनिया में थी. यही वजह है कि अंग्रेजों ने साल 1820 में यहां पैदा हुई अफीम की प्रॉसेसिंग के लिए फैक्ट्री लगाई. इसके बाद गाजीपुर से अफीम से तैयार विभिन्न तरह के उत्पादों का दुनिया भर में निर्यात होने लगा. इससे ना केवल यहां के लोगों को रोजगार मिला, बल्कि सरकार को काफी राजस्व भी मिलने लगा था.
1 / 5
आज भी यह फैक्ट्री निरंतर ग्रो कर रही है. अब तो देश में कई जगह अफीम की खेती होने लगी है. इन सभी स्थानों से अफीम की फसल प्रॉसेसिंग के लिए इस फैक्ट्री में लाई जाती है और तैयार माल को सील पैक कर देश ही नहीं दुनिया भर में भेजा भी जाता है. इस फैक्ट्री की स्थापन के शुक्रवार को 205 साल पूरे हो गए. इस मौके पर फैक्ट्री में भव्य समारोह का आयोजन किया गया.
2 / 5
हालांकि इसे समय की मार कहें या सरकार की बेरूखी, गाजीपुर से अफीम की खेती खत्म पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. हालतक यहां एक व्यक्ति के पास अफीम की खेती के लिए लाइसेंस था, लेकिन उस किसान की मौत के बाद किसी अन्य को लाइसेंस नहीं जारी किया गया. ऐसे में यह फैक्ट्री कच्चे माल के लिए पूरी तरह दूसरे राज्यों पर निर्भर होकर रह गई है. फैक्ट्री की स्थापना दिवस पर आए मुख्य नियंत्रक अफीम एवं क्षरोद कारखाना सत्येंद्र मथुरिया ने बताया कि दोबारा से यहां खेती होगी कि नहीं, यह फैसला सरकार को करना है.
3 / 5
उन्होंने बताया कि यह फैक्ट्री और यहां की खेती का योगदान भारत की अर्थव्यवस्था में अहम था. आज भी यह फैक्ट्री भारतीय अर्थव्यवस्था की कड़ी है. सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है और यहां तैयार दवाइयों से हजारों लोगों की प्राण रक्षा हो रही है. लेकिन यहां एक बड़े भूभाग पर होने वाली खेती पूरी तरह से खत्म हो जाने का मलाल है. उन्होंने बताया कि गाजीपुर की मिट्टी अफीम की खेती के लिए दुनिया में सबसे अच्छी मानी जाती थी. इसलिए अंग्रेजों ने यहां खेती शुरू कराई थी.
4 / 5
आज भी कई देशों की पहली पसंद गाजीपुर की अफीम फैक्ट्री के उत्पाद हैं. यही वजह है कि फैक्ट्री लगातार ग्रो कर रही है. लगातार एक्सपोर्ट आर्डर मिल रहे हैं. यहां तैयार अफीम से मसाले, दवाइयां एवं अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं. दूसरी ओर, खेती के लिए लाइसेंस ना मिलने से किसानों में निराशा है. अफीम की परंपरागत खेती करने वाले किसान अब गेंहू धान की खेती कर रहे हैं.