गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय में पंचकर्म चिकित्सा की सुविधा, जानें कब से और कैसे कराए इलाज

य़ूपी के गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय बनकर तैयार है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक जुलाई को इसका उद्घाटन किया. इसमें प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज की सुविधा है. पंचकर्म की प्रक्रिया मानव शरीर को दोष मुक्त बनाने में काफी प्रभावी सिद्ध हुई है.

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महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में पंचकर्म चिकित्सा की सुविधा आरंभ हो गई है. अब गोरखपुर में लोग पंचकर्म विधि से इलाज का लाभ उठा सकेंगे. यह प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति कई गंभीर रोगों में कारगर है और कम लागत पर उपलब्ध है. रोगी यहां वमन, विरेचन आदि पंचकर्म विधियों से इलाज करा सकते हैं और आरामदायक कॉटेज सुविधा का भी लाभ उठा सकते हैं.

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने एक जुलाई को गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया है. यह सुविधा शुरू हो जाने से अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो पाएंगे. यह सुविधा पूर्वांचल और नेपाल के लोगों के लिए भी लाभकारी है. पंचकर्म की प्रक्रिया मानव शरीर को दोष मुक्त बनाने में काफी प्रभावी सिद्ध हुई है. इस प्रक्रिया की सहायता से असाध्य रोगों का सफल उपचार किया जा सकता है.

कई गंभीर बीमारियों में कारगर है यह पद्धति

पंचकर्म चिकित्सा से मरीज कई गंभीर बीमारियों से मुक्ति पा चुके हैं. कई गंभीर बीमारियों में इसे कारगर माना गया है. पंचकर्म चिकित्सा द्वारा अस्थमा, जोड़ों का दर्द, मोटापा, नसों की बीमारी, सीआरसी का सर्वाइकल, स्पॉन्डिलाइटिस, चर्म रोग, रीढ़ की हड्डी के रोग, मासिक रोग, थायराइड, शुगर, कंधे का दर्द ,यूरिक एसिड, नपुंसकता सहित आदि बीमारियां इलाज किया जाता है.

क्या है पंचकर्म विधि?

पंचकर्म, भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक विज्ञान की अंतर्गत एक प्राथमिक उपचार पद्धति है. इस उपचार के द्वारा शरीर से विशाख पदार्थों को बाहर निकाला जाता है. और शरीर के मानक संतुलन को बहाल करता है. इस पद्धति से शरीर, मन और चेतना का संतुलन बना रहता है. किसी रोग को जड़ से खत्म करने के लिए भी इस पद्धति को जाना जाता है.

इस पद्धति के द्वारा नकारात्मक प्रभाव कम या खत्म किया जा सकता है. भारत की प्राचीन पंचकर्म प्रक्रिया में वमन, नस्ती, विरेचन, नस्य, रक्तमोक्षम आते हैं. पंचकर्म चिकित्सा में इन्हीं पांचों विधि द्वारा मरीज का इलाज किया जाता है.

कैसे कराए इलाज?

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में पंचकर्म पद्धति से इलाज कराने के लिए मरीज को सबसे पहले केंद्र में संपर्क करना होगा. वहां पर मरीज को 10 रुपए की पर्ची बनवा कर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. उसके बाद उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेनी होगी, डॉक्टर मरीज की पूरी बीमारी की जानकारी लेने के बाद उन्हें उनकी मर्ज के हिसाब से इलाज करेगा. इसके बाद मरीज वहां कॉटेज की सुविधा लेकर अपना इलाज करा सकेगा.

डॉक्टर उनके मर्ज के हिसाब से 7, 15 या 30 दिनों तक पंचकर्म पद्धति से इलाज करेगा. जरूरत पड़ने पर वह समय सीमा बढ़ा, घटा सकता है. मरीजों को केंद्र में फाइव स्टार कॉटेज की सुविधा में मिल सकती है, जिससे मरीज आरामदायक प्रवास कर सकता है. मरीज फोन या ईमेल से भी अपॉइंटमेंट ले सकता है. विश्वविद्यालय में पंचकर्म पद्धति से इलाज की सुविधा शुरू कर दी गई है.