इस गांव में नहीं आती पुलिस, फिर कैसे सुलझते हैं विवाद? UP का इस ‘क्राइम फ्री गांव’ की कहानी

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का रतनगढ़ गांव 30 वर्षों से अपराध मुक्त है. गांव के लोग आपसी विवादों को लेकर थाने जाने के बजाय चौपाल पर बैठकर आपस में ही सुलझा लेते हैं. इसकी वजह से गांव में पुलिस की आवश्यकता ही नहीं पड़ती. पूर्ण साक्षरता और आपसी सद्भाव इस गांव की खासियत है.

रतनगढ़ गांव, हापुड़

उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों को मिटाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार खूब पसीने बहा रही है. भारी भरकम पुलिस फोर्स, कोर्ट कचहरी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई खास सफलता नहीं मिली है. उधर, उत्तर प्रदेश में ही हापुड़ जिले का एक ऐसा भी गांव है, जहां बीते 30 साल में पुलिस या किसी अन्य सरकारी मशीनरी की जरूरत ही नहीं पड़ी.आप को हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच है कि इस गांव का कोई भी मामला बीते 30 वर्षों में थाने में नहीं आया. लोगों में जो छिटपुट विवाद होते भी हैं तो उन्हें लोग आपस में ही निपटा लेते हैं.

हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर के पास गंगा के किनारे बसा यह गांव रतनगढ़ है. शांति और सद्भाव का मिसाल बने इस गांव में बीते 30 वर्षों के अंदर कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ. जो छिटपुट विवाद हुए भी तो गांव के लोगों ने ही आपस में बैठकर सुलझा लिया. इसलिए बीते 30 वर्षों में इस गांव से कोई शिकायत पुलिस तक नहीं पहुंची. ऐसे में इस अवधि भी भरसक पुलिस भी इस गांव में नहीं आई. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कोई चमत्कार नहीं. आपसी समझ और प्रेम व्यवहार से किसी भी गांव में ऐसा हो सकता है.

थाने के बजाय चौपाल पर जाते हैं लोग

स्थानीय लोगों के मुताबिक अन्य गांवों की तरह यहां भी लोगों में आपसी विवाद होते हैं. हालांकि इन विवादों को बढ़ाने के बजाय दोनों पक्षों के लोग चौपाल पर चले जाते हैं, जहां गांव के बड़े बुजुर्ग दोनों पक्षों की बात सुनकर बीच का रास्ता निकाल लेते हैं. इसकी वजह से बवाल बढ़ने से पहले ही खत्म हो जाता है और गांव में शांति व्यवस्था कायम रहती है. इसका असर यहां रहने वालों के घरों में होने वाले आयोजनों में भी देखने को मिलता है. स्थिति ऐसी बन जाती है कि जिसके घर आयोजन होता है, उसे पता भी नहीं होता और सारे काम हो जाते हैं.

पूर्ण साक्षर है गांव

स्थानीय लोगों के मुताबिक रतनगढ़ गांव को पूर्ण साक्षर गांव घोषित किया गया है. इस गांव में एक भी आदमी ऐसा नहीं मिलेगा, जो शिक्षित ना हो. इस गांव के सभी लोग या तो नौकरी में हैं या फिर व्यवसाय में लगे हैं. वहीं काफी लोग गांव में रहकर खेतीबाड़ी भी करते हैं. रतनगढ़ गांव को राजपूतों के नाम से भी जाना जाता है. इस गांव में मुश्किल से 50 परिवार है. गंगा के खादर में बसे इस गांव में ज्यादातर परिवार एक ही गोत्र के हैं.