हार्ट अटैक से जवान बेटे की मौत, शव देखते ही धड़ाम से गिरी मां और तोड़ दिया दम; एक साथ उठी दोनों की अर्थी

जालौन में शुक्रवार को एक हृदय विदारक घटना हुई है. बेटे की हार्ट अटैक से मौत के बाद उसका शव देखते ही मां भी सदमे में आ गईं और उन्होंने भी दम तोड़ दिया. यह देख पूरे गांव में मातम छा गया. मां-बेटे की एक साथ अर्थी उठी, जिससे हर आंख नम हो गई. परिजनों और गांव वालों ने नम आंखों से दोनों का अंतिम संस्कार किया.

एक साथ उठी मां बेटे की अर्थी

उत्तर प्रदेश के जालौन में एक हैरान करने वाली घटना हुई है. यहां एक युवक की हार्ट अटैक से मौत हो गई. शव घर पहुंचा तो उसकी बुजुर्ग मां ने देखा और मौके पर ही धड़ाम से गिर पड़ी. इसके बाद मां ने भी दम तोड़ दिया. इस हृदय विरारक घटना को जान और सुनकर पूरे गांव में मातम छा गया. बाद में दोनों मां-बेटे की एक साथ अर्थी उठी, जिसे देखकर लोगों की आंखें नम हो गई. हर कोई यही कह रहा था कि एक मां अपनी आंखों के सामने बेटे की मौत नहीं बर्दाश्त कर पायी.

मामला जालौन के बुढ़ावली गांव का है. जानकारी के मुताबिक इस गांव में रहने वाले हरि प्रकाश याज्ञिक उर्फ छौना (39 वर्ष) माधौगढ़ के मालवीय नगर में रहने वाले अपने बड़े भाई हरि शंकर याज्ञिक (42 वर्ष) के साथ रहते थे. दोनों भाई अलग-अलग सैलून खोलकर परिवार का भरण-पोषण करते थे. बताया जा रहा है कि गुरुवार की दोपहर हरि प्रकाश अपने सैलून में काम कर रहा था. इसी दौरान अचानक से उसके सीने में दर्द उठा. आनन फानन में उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माधौगढ़ ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे उरई मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया.

बेटे का शव देखते ही मां की मौत

परिजनों के मुताबिक गुरुवार की देर रात मेडिकल कॉलेज में हरि प्रकाश की हालत बिगड़ गई और शुक्रवार की सुबह उसकी मौत हो गई. इसके बाद परिजन शुक्रवार की दोपहर शव लेकर घर आए और अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी. इतने में बेटे की मौत सुनकर मां किशोरी देवी (72 वर्ष) बेटे के अंतिम दर्शन के लिए घर से निकली और शव को देखते ही धड़ाम से गिर पड़ी. लोग जब तक उन्हें संभालने की कोशिश करते, किशोरी देवी की मौत हो चुकी थी. मां-बेटे की एक साथ मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पायी मां

गांव वालों के मुताबिक वैसे तो किशोरी देवी का अपने दोनों बेटों से खूब लगाव था, लेकिन अपने छोटे बेटे से वह अत्यंत स्नेह रखती थीं. यही वजह है कि वह उसकी मौत का सदमा सहन नहीं कर सकीं. उनकी भी मौत से घर में चीख-पुकार मच गया और परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. परिजनों के अनुसार हरि प्रकाश अविवाहित थे. उनके पिता मायाराम का निधन करीब पांच वर्ष पहले हो चुका था. घटना की जानकारी मिलने पर गांव के लोगों ने नम आंखों के साथ दोनों की अर्थी सजाई और विधि विधान से अंतिम संस्कार कराया.