जंगल हो या पहाड़, जवानों को दुश्मन की नजर से बचाएगी ये वर्दी; NIFT की डिजाइन को सेना की मंजूरी

भारतीय सेना और बीएसएफ के जवानों को NIFT द्वारा डिजाइन की गई अत्याधुनिक डिजिटल कॉम्बैट वर्दी जल्द ही मिलने वाली है. यह वर्दी जवानों को जंगल से पहाड़ों तक, हर विषम परिस्थिति में दुश्मन की नजरों से बचाएगी. यह आरामदायक और छद्म आवरण (कैमोफ्लाज) प्रदान करने वाली यूनिफॉर्म जवानों की कार्यक्षमता को भी बढ़ाएगी. इसमें 80% कॉटन और विशेष रंग मिश्रण है, जिसका निर्माण टीसीएल कर रहा है.

आर्मी की ड्रेस (सांकेतिक)

चाहे जंगल हो या पहाड़ी इलाका, भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान जल्द ही अत्याधुनिक वर्दी में नजर आएंगे. यह वर्दी उन्हें ना केवल दुश्मन की नजर से बचाएगी, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी आरामदेह साबित होगी. इससे जवानों की कार्यक्षमता में इजाफा होगा. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) ने सेना के लिए इस डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी को डिजाइन किया है. इस डिजाइन को सेना की मंजूरी भी मिल गई. अब वर्दी बनाने की जिम्मेदारी टीसीएल, कानपुर को दी गई है.

अधिकारियों के मुताबिक डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक से तैयार यह वर्दी को मरुस्थल से लेकर जंगल-झाड़ी और पहाड़ों जैसे विविध भौगोलिक परिवेश में जवानों को छद्म आवरण (कैमोफ्लाज) प्रदान करेगी. इससे वह बड़े आराम से आसपास के माहौल में पूरी तरह घुलमिल जाएंगे. जैतून, मिट्टी, खाकी, हरे और भूरे रंगों का संतुलित मिश्रण से तैयार होने वाली यह वर्दी विभिन्न परिस्थितियों में छिपने के लिए आदर्श साबित होगी. इसमें 50 प्रतिशत खाकी रंग होगा. वहीं 45 प्रतिशत हरा और 5 प्रतिशत भूरे रंग को शामिल किया गया है. इस वर्दी का कपड़े में भी 80 प्रतिशत कॉटन होगा. वहीं बाकी 19 प्रतिशत पॉलिएस्टर और 1 प्रतिशत स्पैंडेक्स का मिश्रण किया जाएगा.

एनआईएफटी ने बनाया डिजाइन

सेना की इस नई वर्दी का डिजाइन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) ने तैयार किया है. इस डिजाइन को सेना की मंजूरी मिल चुकी है. यह वर्दी जवानों को युद्ध, गश्त या विशेष अभियानों के दौरान दुश्मनों की नजरों से बचाने में सक्षम होगी. इसके डिजिटल पैटर्न विभिन्न भौगोलिक और प्राकृतिक परिस्थितियों में जवानों को बेहतर सुरक्षा और छिपने की क्षमता प्रदान करेंगे. ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) के सीएमडी सुनील दाते के मुताबिक सेना की सहमति के बाद वर्दी बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. वर्दी बनाने का काम टीसीएल की दो आयुध निर्माणियों—अवाडी (तमिलनाडु) और शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) चल रहा है.

मार्च तक जवानों को मिल जाएगी वर्दी

टीसीएल के निदेशक (ऑपरेशन) राजीव शर्मा के मुताबिक कुल 6.80 लाख वर्दी सेट तैयार करने का लक्ष्य है. इसमें जैकेट, ट्राउजर और कैप शामिल हैं. इनमें से 3.80 लाख सेट अवाडी में और 3 लाख सेट शाहजहांपुर में बनाए जा रहे हैं. टीसीएल की कोशिश है कि मार्च 2026 तक भारतीय सेना और अन्य सशस्त्र बलों को यह वर्दी मिल जाए. उन्होंने बताया कि डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी भारतीय सैन्य बलों के लिए एक नई शुरुआत है.