अखिलेश यादव की तस्वीर पर बागपत में ब्राह्मण समाज बुद्धि शुद्धि के लिए चढ़ाएगा गंगाजल
उत्तर प्रदेश में कथावाचक वाला विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव लगातार इसपर बयान दे रहे हैं. अब बागपत में ब्राह्मण समाज ने अखिलेश यादव के खिलाफ दो बड़े फैसले लिए हैं. इस फैसले ने यूपी की राजनीति को हिलाकर रख दिया है.

उत्तर प्रदेश की सियासत में कथावाचक वाला विवाद मामला अभी थमा नहीं है. अब इसमें गंगाजल की एंट्री हो चुकी है. लेकिन इस बार वो आस्था के लिए नहीं, बल्कि विरोध के लिए आ रहा है. सावन में ब्राह्मण समाज हरिद्वार से कांवड़ लाकर, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की तस्वीर पर गंगाजल चढ़ाएगा. बागपत के खेड़की गांव में ब्राह्मण समाज की ‘मिनी महापंचायत’ ने ऐसा फैसला लिया है.
इस फैसले ने यूपी की राजनीति को हिलाकर रख दिया है. इन दिनों अखिलेश यादव भी इस मुद्दे पर आक्रामक हैं और लगातार बयान दे रहे हैं. ब्राह्मण समाज को उनका बयान न सिर्फ आपत्तिजनक बल्कि सीधा अपमानजनक लगा है. इसके बाद बागपत के खेड़की गांव में एक मिनी पंचायत बुलाई गई. इसमें बड़ी संख्या में ब्राह्मणों ने एक सुर में अखिलेश का ना सिर्फ बहिष्कार किया बल्कि बुद्धि का भी शुद्धिकरण का ऐलान कर डाला.
अखिलेश यादव लक्ष्मण रेखा लांघ चुके हैं
इतना ही नहीं, इस पंचायत में कुछ वक्ताओं ने दहाड़ते हुए ये तक कह डाला कि बांटने की कोशिश करने वाले अखिलेश की बुद्धि सठिया गई है. उनकी तस्वीर के साथ-साथ उन्हें भी गंगाजल पिलाकर अंदर तक शुद्ध किया जाना चाहिए. पंचायत में मौजूद तेजतर्रार संत दांडी स्वामी ने तो साफ कहा, ‘अखिलेश लक्ष्मण रेखा लांघ चुके हैं. इतिहास में जो भी रेखा लांघा, उसका अंजाम बुरा हुआ है.’
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम संसद के बाहर लाठियां खाने को भी तैयार हैं. हम तो गाय के लिए लाठी खा चुके है. ये तो समाज धर्म की बात है. क्योंकि अखिलेश धर्म और समाज बांटने की राजनीति कर रहे है. उनका कहना है कि जब किसी की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तो उसका शुद्धिकरण करना पड़ता है. वहीं इस पंचायत में एक और फैसला लिया गया है. जिसमें चुनावों में बायकॉट की घोषणा की गई.
अखिलेश यादव का सियासी बहिष्कार
दूसरा बड़ा फैसला है कि साल 2027 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव का सियासी बहिष्कार. ब्राह्मण समाज ने साफ किया कि वो ऐसे नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनने देगा, जो संतों का ब्राह्मणों का सम्मान नहीं कर सकता. इटावा में पिछले महीने यादव कथावाचक के भगवत कथा करने को लेकर विवाद हुआ था. जहां उनपर पहचान छिपाकर कथा करने के आरोप में उनका सर मुंडवा दिया गया था.



