विक्रम बने राम तो सौम्या बनीं पार्वती… लखनऊ की बेटी ने कनाडा में कराई रामलीला
लखनऊ की बेटी ने कनाडा में रामलीला महोत्सव का आयोजन कराया. इस दौरान इस अलौकिक कथा को पारंपरिक और नई नाट्य शैली के समिश्रण के साथ प्रस्तुत किया गया. रामलीला में लखनऊ के विक्रम सिंह राम तो लक्ष्मण की भूमिका इवान ने निभाई.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बेटी सौम्या मिश्रा ने एक बार कनाडा में रामलीला महोत्सव का भव्य आयोजन कराया. कनाडा की राजधानी ऑटोवा के वाल्टर बेकर पार्क और टोरंटो के श्रिंगेरी मंदिर में आयोजित इस रामलीला ने प्रवासी भारतीयों के साथ ही अन्य संस्कृतियों के लोगों का मन मोह लिया. पूरे कार्यक्रम में भगवान राम की जीवन गाथा को अद्वितीय नृत्य – नाटिका के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया.
रामलीला भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रही है, जो प्रेम, साहस और भक्ति की एक शाश्वत गाथा है. आज से सात साल पहले लखनऊ की सौम्या मिश्रा ने इस महान संस्कृति को कनाडा की भूमि पर जीवंत करने का फैसला किया था. इस साल टीम ढिशुम ने जून के अंत में अपनी रिहर्सल शुरू की, जिसमें युवा कैनेडियन बच्चों की व्यस्त स्कूल शेड्यूल को ध्यान में रखते हुए उन्हें ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान जोड़ने और प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया.
35 से अधिक बच्चे इस शो का बने हिस्सा
टीम ढिशुम में स्थानीय इंडो- कैनेडियन अभिनेता, फोटोग्राफर और स्वयंसेवक शामिल हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अनगिनत घंटे समर्पित किए हैं. टीम ढिशुम के बच्चों ने तैयारी की इस पूरी यात्रा के दौरान अद्भुत समर्पण और जिज्ञासा दिखाई. इस स्टेज शो का हिस्सा बनने वालों में 35 से अधिक बच्चे समेत कई लोग शामिल रहे, जिसमें 74 वर्षीय यशपाल शर्मा और 3 साल का देव शामिल है.
लखनऊ के विक्रम सिंह बने भगवान राम
इस साल भगवान राम की भूमिका में लखनऊ के विक्रम सिंह, लक्ष्मण के रूप में इवान, हनुमान बने यश पटेल, रावण थे सिवा, सचिन रामपाल कुंभकर्ण बने. इसके अलावा पार्वती की भूमिका में लखनऊ की सौम्या मिश्रा और नन्हे राम व लघु हनुमान के रूप में लखनऊ के वीर आर्यन सिह तथा छोटी सीता के रूप में लखनऊ की वल्लरी मिश्रा और रानी सुनयना की भूमिका में अलीगढ़ की पूनम कासलीवाल नज़र आए.
बच्चों को अपने धरोहरों से जोड़ना जरूरी
रामलीला की निर्देशक-डायरेक्टर सौम्या मिश्रा इस अलौकिक कथा को पारंपरिक और नई नाट्य शैली के समिश्रण के साथ प्रस्तुत करती हैं. दर्शकों का कहना था कि इस तरह के आयोजनों से बच्चों का मनोरंजन तो होता ही है, साथ ही वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और नैतिक मूल्यों को भी सीखते हैं. विदेशी भूमि पर व्यस्त दिनचर्या के साथ बच्चों को अपनी धरोहर और जड़ों से जोड़े रखना बेहद कठिन होता है.