ADM भैरो सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर थाने में FIR दर्ज

ग्रेटर नोएडा में एडीएम भैरो सिंह और दो अन्य पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. एडीएम पर रिश्वत लेकर अनियमित कार्य करने का आरोप है. इस मामले में सूरजपुर थाने में FIR दर्ज किया गया है. यह मामला न्यायिक जांच के दायरे में है. मेरठ कोर्ट के आदेश पर भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ है.

ग्रेटर नोएडा: ADM भैरो सिंह पर भ्रष्टाचार का केस Image Credit:

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एडीएम भैरो सिंह के खिलाफ गुरुवार को मुकदमा दर्ज कराया है. एडीएम भैरो सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. शिकायतकर्ता ने उनके समेत तीन लोगों पर रिश्वत लेने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया है. पीड़ित देवराज नागर ने रिश्वत लेकर काम कराने का आरोप लगाया है.

पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. सूरजपुर कलेक्ट्रेट में तैनात एडीएम भैरो सिंह और दो अन्य पर भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है. वहीं मामले में जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस का दावा है कि आरोप सही पाए गए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मेरठ कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ FIR

शिकायतकर्ता देवराज नागर का आरोप है कि एडीएम भैरो सिंह ने अनियमित तरीके से रिश्वत लेकर कार्य किया. पीड़ित की शिकायत पर एडीएम समेत तीन के खिलाफ सूरजपुर थाना क्षेत्र में मामला दर्ज हुआ है. यह कार्रवाई मेरठ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा 13 के तहत की गई है.

सूरजपुर थाने में जिला न्यायालय द्वारा आदेशित BNS की धारा 173 B के तहत मुकद्दमा दर्ज किया गया है. पीड़ित ने पुलिस शिकायत में एडीएम के ऊपर पैसे लेकर काम करने की बात कही है. अपर जिला न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण द्वितीय मेरठ के आदेश पर FIR दर्ज किया गया है.

2 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप

पीड़ित देवराज नागर ने जमीन के मामले में 2 लाख की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि जमीन का एक मामला कोर्ट में लंबित था. एडीएम ने उनके पक्ष में फैसला देने के लिए दो लाख रुपए की मांग की थी. पैसे नहीं देने पर उनके खिलाफ फैसला दिया गया, साथ ही अभद्रता भी गई.

पीड़ित का कहना है कि इस सबसे से तंग आकर आखिर में उन्होंने मेरठ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने इसके बाद उनके पक्ष में फैसला दिया है. साथ ही कोर्ट ने एडीएम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. वहीं, अब यह मामला न्यायिक जांच के दायरे में है. जो सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है.