तेंदुए मैटिंग तो करेंगे, फिर भी नहीं बढ़ेगी आबादी; UP में वन विभाग करने जा रहा ये बड़ा काम
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में बढ़ते तेंदुओं और मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए वन विभाग ने बड़ा कदम उठाया है. योजना के तहत सभी नर तेंदुओं की नसबंदी की जाएगी ताकि उनकी आबादी नियंत्रित हो सके. इसके अतिरिक्त, आबादी वाले क्षेत्रों में तेंदुओं के प्रवेश को रोकने के लिए चेनलिंक फेंसिंग और निगरानी के लिए थर्मल नाइट विजन कैमरे भी लगाए जाएंगे. इस 610 करोड़ की परियोजना से मानव जीवन की सुरक्षा और वन्यजीवों का संरक्षण सुनिश्चित होगा.

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में लगातार बढ़ती तेंदुओं की संख्या और उनके आबादी में घुसने की घटनाओं को देखते हुए वन विभाग ने बड़ा फैसला किया है. वन विभाग ने अब तेंदुओं की आबादी को कंट्रोल करने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत जंगल में रह रहे सभी नर तेंदुओं की नसबंदी कराई जाएगी. इसके लिए बिजनौर वन विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए शासन को भेजा है. शासन की मंजूरी मिलते ही टीम बनाकर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जंगल में तेंदुओं की बेतहासा बढ़ रही आबादी के चलते वन विभाग भी चिंता में है. विभाग के अधिकारी लंबे समय से इस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश में जुटे थे. इसी क्रम में वन विभाग के अधिकारियों ने इनकी नसबंदी का फैसला लिया है. योजना के तहत शासन की मंजूरी के बाद बिजनौर और नजीबाबाद की उन सभी वन रेंज में चेनलिंक फेंसिंग (तारबाड) करायी जाएगी, जहां से ये तेंदुए जंगल से निकलकर आबादी क्षेत्रों में घुसते हैं.
इस चेन लिंक फेंसिंग पर आधुनिक थर्मल नाइट विजन कैमरे भी लगाए जाएंगे. यह कैमरे रियल टाइम डेटा कमांड सेंटर को भेजेंगे. अधिकारियों के मुताबिक इन कैमरों की मदद से वाइल्ड लाइफ कमांड सेंटर से तेंदुओं की निगरानी होगी. इसी क्रम में वन्य जीवों की देखभाल और इलाज के लिए एक वाइल्ड लाइफ हास्पिटल भी बनाया जाएगा. इसी प्रकार हाथियों से फसलों की सुरक्षा के लिए भी वन विभाग ने योजना तैयार की है. इस योजना के तहत वन सीमा पर दो मीटर गहरी खाई खोदी जाएगी.
बिजनौर के डीएफओ ज्ञानसिंह ने दी. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड से सटे बिजनौर का बड़ा हिस्सा वन्यजीव बाहुल्य और वनसंपदा युक्त है. यहां पूर्व में जिम कार्बेट नेशनल पार्क और अमानगढ टाइगर पार्क है. इसी प्रकार पश्चिम में शिवालिक पहाडी और गंगा नदी तथा उत्तर दिशा में राजा जी नेशनल एलीफैंट पार्क व दक्षिण में हस्तिनापुर वाइल्ड लाइफ सैंचुरी है. बिजनौर जनपद खुद ही पूरा वनों से आच्छादित है. इस समय यहां पांच सौ अधिक तेंदुए गन्ने के खेतों में रह रहे है. इसी वजह से यहां मानव वन्यजीव संघर्ष के मामले खूब देखे जाते हैं.
610 करोड़ की परियोजना
डीएफओ के मुताबिक जिले में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए विभाग ने 610 करोड़ की परियोजना तैयार की है. शासन की मंजूरी के बाद इस पर काम शुरू किया जाएगा. उन्होंने बीते 15 वर्षों में तेंदुए के इंसानों पर हमले 875 मामले सामने आ चुके हैं. इन हमलों में 70 लोगों की मौत हुई है, वहीं 350 लोग जख्मी भी हुए हैं. इसी प्रकार कई तेंदुए भी मारे गए हैं. इन परिस्थितियों को रोकने के लिए वन विभाग ने फुलप्रूफ रणनीति बनाई है.