सड़ चुका है पूरा सिस्टम… 40 साल में मिली 400 तारीखें, लेकिन नहीं मिला न्याय; UP के पूर्व DGP से क्या है कनेक्शन?
जौनपुर में एक शिव मंदिर के पुजारी की 7.5 बीघा ज़मीन पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव के भतीजे के नाम फर्जी तरीके से दर्ज कर ली गई. 40 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे पुजारी को अभी तक इंसाफ़ नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट के वकील ने न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि पूरा ज्यूडिशियल सिस्टम सड़ चुका है.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 40 साल में 400 से ज्यादा तारीखें लगीं लेकिन इसके बावजूद भी पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल पाया है. न्याय में होने वाली देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि ज्यूडिशिल सिस्टम एकदम सड़ चुका है. ये पूरा मामला यूपी के पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव से जुड़ा हुआ है. पीड़ित शिव मंदिर के प्रबंधक व पुजारी का आरोप है कि पूर्व डीजीपी ने शिव मंदिर की साढ़े सात बीघे ज़मीन फर्जीवाड़ा किया. इतना ही नहीं उन्होंने अपने पद का दुरुप्रयोग किया और सारी जमीन अपने भतीजे के नाम दर्ज करा दिया है. साथ ही इसपर कब्जा भी कर लिया. इस मामले में पीड़ित पुजारी ने सीएम से भी कई बार गुहार लगाई लेकिन उनके न्याय का इंतजार आज भी खत्म नहीं हुआ.
इसी मामले का जिक्र सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया. उन्होंने सख्त होते हुए कहा कि ज्यूडिशियल सिस्टम एकदम सड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ये मामला मुंगराबादशाहपुर थाना के तरहटी गांव के रहने वाले यूपी के पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव से जुड़ा है.
क्या है पुजारी का आरोप?
इसी गांव के रहने वाले शिव मंदिर के पुजारी विजय उपाध्याय का आरोप है कि शिव मंदिर के नाम से दर्ज साढ़े सात बीघा जमीन को पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव ने अपने भाई बृजलाल यादव के बेटे निशांत के नाम दर्ज करा ली थी. मंदिर की जमीन न केवल फर्जीवाड़ा करके अपने नाम दर्ज कराई गई बल्कि उसे बलपूर्वक कब्जा भी कर लिया गया. पीड़ित इस मामले में अधिकारियों के यहां पिछले 40 सालों से चक्कर काट रहा है लेकिन, उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव सपा मुखिया रहे मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के बेहद करीबी हैं.
पीड़ित की जब जौनपुर में कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के निर्देश के बाद जब मामले की जांच हुई तो जो जमीन जगमोहन यादव के भतीजे के नाम दर्ज हुई थी मिली. उन्होंने कहा कि जब ये फर्जीवाड़ा समाने आया तो अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए निशांत यादव के नाम दर्ज जमीन वाले उस आदेश को निरस्त कर दिया. फर्जीवाड़ा उजागर होने के बावजूद पूर्व डीजीपी के परिवार से मामला जुड़ा होने के इस चलते मामले में कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है. आज भी शिव मंदिर की ज़मीन का कब्ज़ा मंदिर के प्रबंधक व पुजारी को वापस नहीं मिल पाया है. पीड़ित न्याय की आस में पिछले 40 सालों से जौनपुर में अधिकारियों के यहां चक्कर काट रहा है. पिछले 40 सालों से यह मामला चकबंदी कार्यालय में ही लंबित है.
पीड़ित के वकील ने क्या कहा?
टीवी9 से बातचीत में पीड़ित के वकील अजय उपाध्याय ने बताया कि शिवमन्दिर की साढ़े सात बीघा जमीन का फर्जीवाड़ा करके बलपूर्वक पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव द्वारा कब्जा करने के बाद दूसरी चकबंदी में गलत तरीके से तथ्यों को छिपाकर मौजूदा जमीन अपने भतीजे निशांत यादव के नाम दर्ज भी करा दिया गया. इसकी जानकारी होने पर जब आपत्ति की गई तो भी कोई सुनवाई नहीं हुई. इलाहाबाद हाइकोर्ट जाने के बाद कोर्ट के आदेश पर जब चकबंदी विभाग के अधिकारियों को तलब किया गया तो निशांत यादव के नाम दर्ज करने के आदेश को निरस्त करते हुए चकबंदी अधिकारियों की फाइल को सीओ सदर के यहां ट्रांसफर कर दिया गया.
नहीं की गई कार्रवाई
न्यायालय के साथ फर्जीवाड़ा करके गलत तरीके से जमीन निशांत यादव के नाम दर्ज कराने के मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. चकबंदी विभाग के अधिकारी डीजीपी के रसूख के आगे मौन हैं, जबकि उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी. हालांकि, अब हाईकोर्ट ही एक सहारा है, इस मामले में अगली डेट का इंतजार है. कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
वहीं, पीड़ित शिवमंदिर के पुजारी विजय उपाध्याय ने बताया कि इस मामले में कई बार पूर्व डीजीपी और उनके परिवार द्वारा जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है. कहीं शिकायत करने पर कार्रवाई करने के बजाय जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी ये सलाह देते हैं कि पूर्व डीजीपी हैं.