यहां हुक्का भी पीते हैं ठाकुर जी! वृंदावन में है भगवान कृष्ण का ये मंदिर; 500 साल पुराना इतिहास- Photos

वृंदावन के हर घर में मंदिर हैं और हर मंदिर की एक कहानी है. वृंदावन में ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है, इसमें ठाकुर जी श्री लाडली जू सरकार के साथ विराजते हैं. यहां भगवान अपने भक्तों के साथ हुक्का भी पीते हैं. जी हां, गांव में बड़े बुजुर्ग जो हुक्का पीते हैं, वही भगवान को भी अर्पित करते हैं.

यहां हुक्का भी पीते हैं ठाकुर जी! वृंदावन में है भगवान कृष्ण का ये मंदिर; 500 साल पुराना इतिहास- Photos
भगवान कृष्ण की रास स्थली वृंदावन को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है. दरअसल यहां बड़े-बड़े मंदिर तो हैं ही, हर घर में मंदिर मिल जाएंगे और हर मंदिर की एक कहानी भी मिल जाएगी. वृंदावन में ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है, इसमें ठाकुर जी श्री लाडली जू सरकार के साथ विराजते हैं. यहां भगवान अपने भक्तों के साथ हुक्का भी पीते हैं. जी हां, गांव में बड़े बुजुर्ग जो हुक्का पीते हैं, वही भगवान को भी अर्पित करते हैं.
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यहां हुक्का भी पीते हैं ठाकुर जी! वृंदावन में है भगवान कृष्ण का ये मंदिर; 500 साल पुराना इतिहास- Photos
इस मंदिर को राधा विनोद जमाई ठाकुर जी मंदिर के नाम से जाना और पहचाना जाता है. इस मंदिर का एक नाम तराश मंदिर भी है. मंदिर के सेवायतों के मुताबिक यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है. इस मंदिर की भी एक कहानी है. मंदिर के गोस्वामी बृजमोहन कहते हैं कि अक्सर श्रद्धालु आश्चर्य करते हैं कि ठाकुर जी कैसे हुक्का पीते हैं. इस तरह के सवाल पूछने वाले श्रद्धालुओं को वह मंदिर की प्रथा बताकर संतुष्ठ करते हैं.
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मान्यता के मुताबिक ठाकुर जी एक बार वृंदावन से ढाका गए थे. उस समय ढाका बांग्लादेश के राजा बनवारी लाल हुआ करते थे. उनकी बेटी का नाम राधा विनोदिनी था. ठाकुर जी ढाका नरेश के महल में राधा विनोदिनी के साथ नरलीला किया करते थे. एक दिन ठाकुर जी की इस नरलीला पर पुरोहित बांछाराम की नजर पड़ गई. इसी बीच राजा के यहां जब पुत्री के विवाह की बात चल रही थी तो पुत्री ने कहा कि मुझे तो ठाकुर से ही विवाह करना है.
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राजा बोले ठाकुर तो सिर्फ मूर्ति है उससे विवाह कैसे संभव है, लेकिन उनकी बेटी जिद पर अड़ी रही. इसी प्रकार दिन बीतते गए और विवाह की तिथि आ गई. ठीक उसी दिन ठाकुर जी एक साधारण आदमी के रूप में मंडप में पहुंच गए और राजा के रिश्तेदारों के साथ बैठकर हुक्का पीने लगे. यह सब कुछ राजा की पुत्री ने अपनी आंखों से देखा और उसने अपनी मां को बताया. आग्रह किया कि लोग ठाकुर जी को अपना झूठा हुक्का पिला रहे हैं, उनको रोकिए.
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इसके बाद राजा ने जाकर प्रार्थना की तो ठाकुर जी अपने स्वरुप में आ गए और कहा कि उसी बारात में दूल्हा बनकर राजा की बेटी से शादी किया था. उसके बाद वापस ठाकुर जी यहां आकर विराजमान हो गए. यहां आने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी राधा विनोदिनी से कहा कि उन्हें हुक्के की लत लग गई है. उस समय राधा विनोदिनी ने उन्हें हुक्का पिलाया और तब से यह प्रथा शुरू हो गई. अब भगवान को सुबह-शाम हुक्के का भोग लगाया जाता है.
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अब भगवान को सुबह-शाम हुक्के का भोग लगाया जाता है. भक्त भी प्रसाद के रूप में यहां हुक्के का सेवन करते हैं. वृंदावन का यह पहला ऐसा मंदिर है, जहां ठाकुर जी का भोग प्रसाद ही हुक्का होता है.
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