वाह री यूपी पुलिस! रिश्वत में खाए 6 समोसे और नाबालिग से रेप केस में लगा दी एफआर, पॉक्सो कोर्ट ने लिया एक्शन
उत्तर प्रदेश के एटा में 14 वर्षीय लड़की के साथ रेप के मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई है. विवेचक ने आरोपी से रिश्वत में समोसे लेकर फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी. हालांकि पॉक्सो कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए सीधी सुनवाई करने का फैसला किया है. पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि विवेचक ने झूठी रिपोर्ट बनाई है.

उत्तर प्रदेश के एटा में एक 14 साल की लड़की से रेप के मामले में पुलिस ने बड़ा खेल कर दिया. विवेचक ने आरोपी से रिश्वत में महज 6 समोसे खाकर मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी. वहीं जब मामला विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट नरेंद्र पाल राणा के सामने आया तो उन्हें शक हो गया और उन्होंने एफआर को रद्द करते हुए परिवाद दर्ज किया है. मामला एटा जिले के जलेसर थाना क्षेत्र के एक गांव में साल 2019 का है.
जानकारी के मुताबिक पीड़ित लड़की स्कूल से लौट रही थी. बीच रास्ते में उसके गांव का ही रहने वाला युवक वीरेश उसे झांसे में लेकर खेत में ले गया और उसके साथ गंदी हरकते की. संयोग से उसी समय गांव के ही कुछ लोग लोग मौके पर पहुंच कर आरोपी को रंगे हाथ पकड़ लिया था. उस समय आरोपी उनके साथ गाली गलौज करते हुए भाग गया था. वहीं बाद में जब पीड़िता के पिता ने पुलिस में शिकायत दी तो उसने पुलिस को भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मैनेज कर लिया था.
इस्थगासा से दर्ज हुआ था मुकदमा
आखिर में पीड़िता के पिता ने कोर्ट में इस्थगासा दाखिल किया. इसके बाद पुलिस ने कोर्ट के दबाव में मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन पुलिस का रवैया एकतरफा ही रहा. स्थिति यहां तक आ गई कि विवेचक ने आनन फानन में मामले की जांच कर मुकदमे में एफआर लगा दिया. इसकी जानकारी पर पीड़ित पिता ने कोर्ट में फिर से न्याय की गुहार लगाई. बताया कि आरोपी की समोे की दुकान है, जहां से विवेचक ने छह समोसे लेकर यह गलत रिपोर्ट बनाई है.
इस आधार पर पुलिस ने लगाई एफआर
कोर्ट में दाखिल एफआर में विवेचक ने लिखा है कि उधार में समोसे देने से मना करने पर पीड़ित लड़की और आरोपी वीरेश के बीच कहासुनी हुई थी. इसके बाद लड़की ने द्वेषवश मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. विवेचक ने लिखा कि विवेचना में इनके बीच हुई कहासुनी की तो पुष्टि हुई है, लेकिन लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है. हालांकि अदालत ने पुलिस के इस तर्क को खारिज करते हुए एफआर को रद्द कर दिया है. इसी के साथ अदालत ने इस मामले में सीधे सुनवाई करने का फैसला किया है.



