नीतीश कटारा हत्याकांड की पूरी कहानी, जिसके हत्यारे की सड़क एक्सीडेंट में हुई मौत, अभी कौन-कौन जेल में है?

नीतीश कटारा हत्याकांड की चर्चा एक बार फिर तीसरे दोषी सुखदेव यादव की सड़क हादसे में मौत के बाद तेज हो गई है. 2002 में पूर्व मंत्री डीपी यादव के बेटे विकास यादव ने ऑनर किलिंग में नीतीश की हत्या की थी. दरअसल विकास की बहन भारती और नीतीश प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे. इस हत्याकांड में विकास और उसके ममेरे भाई विशाल को 25 साल की सज़ा हुई थी. वहीं इस वारदात में सहयोगी रहे सुखदेव यादव हाल ही में 20 साल की सजा काटकर जेल से रिहा हुआ था.

डीपी यादव और विकास यादव

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पहलवान सुखदेव यादव की सड़क हादसे में मौत से एक बार फिर गाजियाबाद में 23 साल पहले हुए नीतीश कटारा हत्याकांड की चर्चा शुरू हो गई है. नीतीश कटारा हत्याकांड को कोर्ट ने ऑनर किलिंग मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री और नोएडा-गाजियाबाद के बाहुबली डीपी यादव के बेटे विकास यादव को 25 साल के कठोर कारवास की सजा सुनाई थी. विकास के साथ ही अदालत ने उसके ममेरे भाई विशाल यादव को भी दोषी माना था और उसे भी 25 साल की सजा सुनाई थी. फिलहाल यह दोनों तिहाड़ जेल में हैं.

इस वारदात में सहयोगी रहे सुखदेव यादव को कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई थी. चार महीने पहले ही वह अपनी सजा पूरी कर जेल से बाहर आया था और अब एक सड़क हादसे में मारा गया. इस प्रसंग में आगे बढ़ने से पहले नीतीश कटारा हत्याकांड का बैकग्राउंड जान लेना जरूरी है. दरअसल, दिल्ली का रहने साला नीतीश कटारा नोएडा सेक्टर 71 से सटे सर्फाबाद गांव निवासी बाहुबली डीपी यादव की बड़ी बेटी भारती यादव से प्यार करता था.

समारोह में से ही हुआ था अगवा

दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे, लेकिन डीपी यादव के बड़े बेटे विकास यादव को इनका रिश्ता मंजूर नहीं था. साल 2002 की सर्दियों में गाजियाबाद के राजनगर में आयोजित एक शादी समारोह में संयोग से डीपी यादव का परिवार तो आया ही था, नीतीश कटारा भी आया था. यहां भारती यादव और नीतीश आपस में बात कर रहे थे. इसी दौरान विकास ने देख लिया और फिर तुरंत उसने विशाल को फोन कर बुलाया और फिर बातचीत के बहाने नीतीश को समारोह से बाहर बुलाकर अगवा कर लिया. इसके बाद उसकी बुलंदशहर में पीट-पीटकर हत्या करने के बाद शव पर डीजल डालकर जला दिया था.

बुलंदशहर में मिला था शव

अगले दिन बुलंदशहर पुलिस की सूचना पर पहुंची गाजियाबाद पुलिस की टीम ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया. पहले इस मामले की सुनवाई गाजियाबाद की कोर्ट में हो रही थी, लेकिन बाद में नीतीश की मां की अर्जी पर यह मामला दिल्ली ट्रांसफर हो गया था. इस मामले में साल 2008 में तीन लोगों को दोषी मानते हुए अदालत ने सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. जानकारी के मुताबिक साल 2002 से जेल में बंद डीपी यादव के बेटे विकास और भांजे विशाल की सजा साल 2027 में पूरी होनी है.

2027 में होनी है विशाल-विकास की रिहाई

विशाल तो लगातार में जेल में सजा काट रहा है, लेकिन विशाल पहले अपनी मां की बीमारी में सेवा के नाम पर चार सप्ताह के लिए पैरोल पर आया और फिर शादी के नाम पर पैरोल की अवधि छह महीने बढ़वा दी. ऐसे में यदि पैरोल की अवधि को सजा में से निकाल दें तो संभव है कि विकास की रिहाई 2028 में होगी. जबकि विशाल 2027 में ही जेल से छूटकर बाहर आ जाएगा. इसी मामले में तीसरा दोषी सुखदेव यादव को 20 साल की ही सजा हुई थी. वह चार महीने पहले ही जेल से छूटकर बाहर आया और सड़क हादसे में मारा गया है.

अब जानिए डीपी के परिवार में कौन-कौन

डीपी यादव के दो बेटे विकास और कुणाल हैं. उनकी दो बेटियां दो बेटे-दो बेटियां भारती और भावना हैं. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक इन चारों की शादी हो चुकी है. भारती और भावना शादी के बाद अपने पतियों के साथ अमेरिका में रह रही हैं. भारती तो अपने मायके बहुत कम आती जाती है, लेकिन भावना का आना जाना लगा रहता है. वहीं डीपी यादव का छोटा बेटा कुणाल और बहू मिलकर डीपी यादव के कारोबार को संभालते हैं.

बदायूं-नोएडा में है डीपी का कारोबार

डीपी यादव का मुख्य कारोबार बदायूं और नोएडा में आधा दर्जन से अधिक स्कूल और तीन चीनी मिलें हैं. खुद डीपी यादव भी अपने कारोबार पर नजर रखते हैं और अक्सर अपने स्कूलों एवं मिलों में कामकाज का निरीक्षण करते रहते हैं. हालांकि पिछले कुछ दिनों से उन्होंने ज्यादा फोकस अपने स्कूलों पर कर रखा है. जबकि विकास यादव अभी जेल में है. हाल ही में उसकी शादी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के एक रिश्तेदार की बेटी से हुई है. वह इस समय डीपी यादव के गाजियाबाद स्थित घर में उनके साथ रह रही है.