बनारस में नशे के नेटवर्क का पूरा काला चिट्ठा, जिसका मास्टमाइंड 5 साल में ही 2000 करोड़ का मालिक बन गया

वाराणसी में कोडिन कफ सिरप तस्करी का बड़ा नेटवर्क सामने आया है. शुभम जायसवाल इसका सरगना बताया जा रहा है, जिसके तार बिहार, झारखंड से बांग्लादेश तक जुड़े हैं. SIT गठित कर गहन जांच की जा रही है, जिसमें 28 दवा कारोबारी शामिल हैं. शुभम की तालाश में पुलिस की कई टीमें लगी हुई हैं.

वाराणसी में कोडिन कफ सिरप तस्करी रैकेट बेनकाब

गाजियाबाद से शुरू हुए कोडिन कफ सिरप का मामला बनारस होते हुए बिहार-झारखंड और पश्चिम बंगाल तक पहुंच गया है. बांग्लादेश तक इस मामले के तार जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं. पश्चिमी यूपी में सहारनपुर से सुदूर पूर्वी हिस्से बंगाल तक कोडिन सिरप की लाखों बोतलें बरामद की गई हैं. वाराणसी में SIT गठित कर गहन जांच की जा रही है.

इस बड़े नेटवर्क का मास्टमाइंड शुभम जायसवाल को माना जा रहा है. एसआईटी गठन के दूसरे ही दिन वाराणसी के रोहनिया इलाके में एक जिम के गोडाउन से करीब दो करोड़ के कोडिन कफ सिरप पकड़ा गया. और उसके तुरंत बाद सरगना शुभम पर एक और मुकदमा दर्ज किया गया. अब पुलिस शुभम की तलाश में जुट गई है.

वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि शुभम जायसवाल पर हम लगातार शिकंजा कस रहे हैं. उस पर दो एफआईआर हो गई है और उसकी तालाश में पुलिस की कई टीमें लगी हुई हैं. डीसीपी काशी जोन के नेतृत्व में हमने एसआईटी जांच का गठन किया है. ड्रग डिपार्टमेंट के लोगों के सहयोग से हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं.

शुभम सहित 28 दवा कारोबारियों पर मुकदमा दर्ज

अपर आयुक्त रेखा एस चौहान ने बताया कि शुभम जायसवाल रांची में रजिस्टर्ड अपनी फर्म ‘शैली ट्रेडर्स’ के जरिए इस पूरे रैकेट को संचालित करता था. उसके तार विभिन्न राज्यों से जुड़े पाए गए हैं. अब 100 करोड़ रुपये से अधिक की कोडीन युक्त कफ सिरप तस्करी मामले में शुभम सहित 28 लोगों पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है.

खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन की आयुक्त रोशन जैकब के निर्देश पर कोतवाली थाने में 26 फर्मों के 28 दवा कारोबारियों पर NDPS एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया. इस कार्रवाई से न केवल वाराणसी बल्कि पूरे पूर्वांचल के दवा व्यापार में हड़कंप मच गया है. डिप्टी सीएम ने कहा है कि मामले में शासन स्तर से कार्रवाई हो रही है, दोषी बख्शे नही जाएंगे.

तस्करी में शुभम के साथ उसके पिता भी शामिल

जांच में सामने आया है कि फैंसीडिल कफ सिरप का निर्माण बंद होने के बावजूद लगभग 100 करोड़ रुपये की सिरप की खेप स्टॉक की जा रही थी. इसे झारखंड, बिहार और यूपी में घुमाने के बाद नशे के उपयोग के लिए विदेश तक भेजा जा रहा था. ड्रग विभाग को शक है कि इस पूरे सिंडिकेट को वाराणसी से ही ऑपरेट किया जा रहा था.

गाजियाबाद पुलिस की जांच में पता चला है कि कोडिन कफ सीरप की तस्करी में आरोपी शुभम के साथ उसके पिता भोलानाथ प्रसाद भी शामिल थे. खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच के अनुसार, दोनों ने झारखंड के रांची स्थित अपनी फर्म मेसर्स शैली ट्रेडर्स से वाराणसी के 26 कारोबारियों को बड़ी मात्रा में कोडिनयुक्त सीरप सप्लाई किया.

कफ सिरप बैन हुआ तो माफिया सक्रिय हो गए

अपर आयुक्त ड्रग डिपार्टमेंट एवं विशेष सचिव रेखा एस चौहान वाराणसी में हैं. उन्होंने टीवी9 को बताया कि हम इस बात पर सबसे ज़्यादा गंभीर हैं कि आखिर इतने फर्जी लाइसेंस बन कैसे गए? इन फर्मों से सिर्फ इसी सिरप की सप्लाई क्यों होती थी? किसके समय में बोगस और फर्जी फर्मों को लाइसेंस दिया गया, उन सबकी जांच हो रही है.

दवा कारोबार से जुड़े लोगों में इस समय भय का माहौल है. कोई भी बात करने को तैयार नहीं है. नाम न बताने की शर्त पर दालमंडी के लोगों ने बताया कि ये सारा खेल पिछले 3-4 सालों का है. कोडिन कफ सिरप बैन हुआ तो ऐसे दवा माफिया सक्रिय हो गए, उनकी लॉटरी लग गई. ये लोग बल्क में बनाते थे और प्रतिबंधित होने के कारण दस गुणा दाम पर बेचते थे.

कौन है इसका मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल?

शुभम ने शुरुआत में रांची में शैली ट्रेडर्स नाम से एक फर्म रजिस्टर कराई. वहां से वह गैर-कानूनी कफ सिरप के धंधे में शामिल हो गया. वह झारखंड और पश्चिम बंगाल से लेकर बांग्लादेश तक के ड्रग डीलरों के संपर्क में आया. उसने छोटे-बड़े स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स को बिल देने के लिए जाली कागज़ात का इस्तेमाल किया.

शुभम अपना पूरा धंधा वाराणसी से ही चलाता था. बीते तीन साल के भीतर बनारस में ड्रग विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर बड़ी संख्या में ड्रग लाइसेंस बनवाया. बिना किसी सत्यापन के विभाग ने लाइसेंस जारी किए. इन सभी फर्मों से सिर्फ कोडिन कफ सिरप की ही बिलिंग की जाती थी.

सवाल : कोडिन सिरप के इस नेटवर्क को लेकर कहां से लिंक मिला?

जवाब: सोनभद्र में फलों के दो ट्रक पकड़े गएं उसमें ये प्रतिबंधित दवा मिला. ग़ाज़ियाबाद में मिले कोडिन कफ सिरप ने इस नेटवर्क पर मुहर लगा दी. उसके बाद से चंदौली, सहारनपुर सहित कई जिलों में ये प्रतिबंधित दवाएं पकड़ी गईं.

सवाल : कितने लोग इस धंधे में शामिल हैं?

जवाब: इसकी जांच की जा रही है. वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं. हमारा डिपार्टमेंट भी जांच में सहयोग कर रहा है. जांच के बाद ही ये तय हो पाएगा कि कितने लोग इसमें शामिल हैं. लेकिन जांच में ड्रग डिपार्टमेंट सहित सभी लोगों को जांच के दायरे में रखा गया है.

सवाल: मास्टर माइंड कौन है और ये सिरप कहां बनता था?

जवाब: बनारस का शुभम जायसवाल इसका मास्टर माइंड है. ये कफ सिरप हिमाचल में बनता था. रांची के शैली ट्रेडर्स जो कि सुपर स्टॉकिस्ट हैं उन्होंने ये बल्क में मंगाया था.

सवाल: कोडिन कफ सिरप कहां कहां भेजा जाता था?

जवाब: छत्तीसगढ़, यूपी, झारखंड, बिहार, बंगाल से बंग्लादेश तक इस सिरप की सप्लाई थी.

सवाल: लाइसेंस लिया गया था?

जवाब: पिछले तीन साल में कितने लाइसेंस जारी हुए हैं और उनका सत्यापन किसके समय में कैसे हुआ है इसकी जांच चल रही है. अभी तक 26 फर्म पर मुकदमा हुआ है. 76 फर्म संदिग्ध हैं जांच हो रही है. जरूरत पड़ी तो इनके ख़िलाफ भी मुकदमा दर्ज होगा.

सवाल: कितनी शीशियां बरामद हुई हैं और कितने का माल पकड़ा गया है?

जवाब: रांची से करीब सौ करोड़ की सिरप एक ख़रीद शीशियों में भरकर भेजी गई थी. अलग अलग जगहों से इनकी बरामदगी हो रही है. करीब 5 लाख शीशियाँ अभी तक बरामद हुई हैं.