जाकी रही भावना जैसी… अखिलेश यादव के अंडर टेबल वाले बयान पर बोले धीरेंद्र शास्त्री
इटावा में कथावाचक विवाद पर राजनीतिक तूफान मचा हुआ है. इस बीच पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के आरोप पर पलटवार किया है. साथ ही उन्होंने जातिवाद को देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का आह्वान किया.

उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक वाला विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज है. इस बीच बुधवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने समाजवादी पार्टी के मुखिय़ा अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी.’ उन्होंने कथावाचक विवाद पर भी बात की है.
सपा प्रमुख और यूपी के कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने हाल में कथावाचक मामले में धिरेंद्र शास्त्री पर कटाक्ष किया. इस दौरान उन्होंने पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर अंडर टेबल पैसे लेने का आरोप लगाया था. अब इस पर बागेश्वर बाबा ने कहा, ‘सबकी अपनी-अपनी बातें हैं, अपने-अपने विचार हैं. मैं नेताओं पर बात नहीं करता. हम पर कोई कुछ भी बोले, हम राजनीति पर बयान नहीं देते है.’
अखिलेश यादव ने क्या कुछ कहा था?
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव में 30 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथावाचक विवाद पर बात करते हुए बागेश्वर बाबा पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा, ‘कई कथावाचक एक आयोजन के लिए 50 लाख रुपए लेते हैं. किसी की हैसियत है कि कथा के लिए धीरेंद्र शास्त्री को अपने घर बुला सके? वह अंडर टेबल पैसे लेते हैं. पता करवा लीजिए धीरेंद्र शास्त्री कितना शुल्क लेते हैं’.
‘कैंसर से भी बड़ी बीमारी है जातिवाद’
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस दौरान इटावा कथावाचक वाले विवाद को निंदनीय करार दिया. साथ ही जातिवाद को कैंसर से भी बड़ी बीमारी बताया. उन्होंने कहा कि अगर इस तोड़ने के लिए बड़ी बीमारी कोई है तो वह जातिवाद है. इससे देश का विकास बाधित होता है. जातिवाद के कारण आज देश एकजूट नहीं हो पा रहा है. वहीं, इसमें राजनीति कर और घी डाला जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत को संपन्न और समृद्ध बनाने के लिए जातिवाद नहीं राष्ट्रवाद की जरूरत है. हमे जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद पर कार्य करना होगा. बता दें कि, इटावा में 21 जून को यादव कथावाचकों को भागवत कथा करने पर प्रताड़ित किया गया था. गैर ब्राह्मण होने को लेकर उनकी चोटी काट कर सिर मुंडवा दिया गया था. यह विवाद अब राजनीतिक रुप ले लिया है.



