‘सत्ता की मास्टर चाबी हाथ आए, तो आएंगे अच्छे दिन’, OBC समाज से बोलीं मायावती

बसपा सुप्रीमों मायावती ने ओबीसी समाज को एकजुट होकर 'सत्ता की मास्टर चाबी' थामने का आह्वान किया है. उन्होंने पिछड़ा वर्ग से पार्टी को मजबूत करने और आर्थिक सहयोग के साथ वोट देने की अपील की. साथ ही कहा कि अपर कास्ट के लिए अगल से भाईचारा संगठन बनाने की जरूरत नहीं, यह वर्ग राजनीतिक रूप से पूरी तरह जागृत हो चुका है.

मायावती की OBC भाईचारा बैठक

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की बैठकों का सिलसिला जोरों पर है. शनिवार को लखनऊ में पिछड़ा वर्ग भाईचारा संगठन की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें समाज को एकजुट करने की ठोस रणनीति पर मंथन किया गया. उन्होंने संगठन की जिलावार प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की और चिंता जताई कि ओबीसी समाज विभिन्न जातियों में बंटा हुआ है.

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि कई जातियों ने अलग-अलग पार्टियां और संगठन बना लिए, जिससे उनकी एकता प्रभावित हो रही है. इसका फायदा जातिवादी पार्टियां चुनावों में उठाती रहती हैं. बसपा सदियों से सताए जा रहे इन लोगों को ‘बहुजन समाज’ से जोड़कर अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष कर रही है. यह न केवल ओबीसी के हित में है, बल्कि लोकतंत्र और राष्ट्रहित में भी जरूरी है.

ओबीसी समाज को बिखराव से बचना होगा

मायावती ने इससे पहले मुस्लिम भाईचारा संगठन की बैठक बुलाई थी, इसमें प्रदेश के सभी 75 जिलों से 450 से ज्यादा मुस्लिम पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने नया फॉर्मूला पेश किया, दलित-मुस्लिम (MD) गठजोड़. वहीं, आज उन्होंने अपर कास्ट के लिए अलग से भाईचारा संगठन बनाने की बात को नकार दिया.

मायावती ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अपर कास्ट राजनीतिक रूप से मजबूत और जागरूक है. यह समाज बसपा में अपना हित सुरक्षित देखकर स्वयं ही पार्टी से जुड़ जाएगा. उन्होंने कहा कि लेकिन ओबीसी समाज को बिखराव से बचाकर बसपा के बैनर तले संगठित होना होगा, ताकि ‘सत्ता की मास्टर चाबी’ उनके हाथ आए और अच्छे दिन जल्द शुरू हों.

वोटर कार्ड अभियान सबका बने, कोई न छूटे

चुनावी तैयारियों को धार देने के लिए मायावती ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) गाइडलाइन पर जोर दिया. उन्होंने निर्देश दिए कि सभी पात्र मतदाताओं का वोटर कार्ड बनवाया जाए, ताकि कोई वोटर छूट न जाए. “सबका वोटर कार्ड बने, यही हमारी प्राथमिकता है,” उन्होंने कहा. यह कदम बसपा के आधार वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

मायावती ने बताया- बामसेफ की असली पहचान

बैठक में बामसेफ को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर भी मायावती ने बात की. उन्होंने स्पष्ट किया कि बामसेफ कोई राजनीतिक संगठन या पार्टी नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे कर्मचारियों का सामाजिक प्लेटफॉर्म है, जिसका मुख्य काम बहुजन समाज में जागरूकता फैलाना है. सबसे पहले इसकी स्थापना कांशीराम जी ने की थी, जो पंजीकृत नहीं है. यही असली बामसेफ है.

उन्होंने चेतावनी दी कि कई पंजीकृत बामसेफ स्वार्थी और अवसरवादी लोगों के हाथों में हैं, जिनसे कांशीराम जी ने जीते-जी सतर्क रहने की सलाह दी थी. इसलिए इनकी अलग बैठक बुलाने की जरूरत नहीं. यह बयान बसपा के मूल सिद्धांतों की रक्षा करने का संकेत है. बसपा की यह बैठक उत्तर प्रदेश की सियासी हलचल में नया मोड़ ला सकती है.