किसको बताएं दर्द, किसे सुनाएं किस्सा… बार-बार बदल रही तारीख, सामूहिक विवाह आयोजन में देरी से टूटने लगे रिश्ते

अमेठी में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की लापरवाही से गरीब बेटियों की शादी टूट रही है. तारीखें बदलने से कई परिवारों के सपने बिखर गए हैं, जिससे बेटियां और उनके परिजन गहरे सदमे में हैं. अधिकारियों की उदासीनता और अनुत्तरदायित्व से योजना का उद्देश्य प्रभावित हो रहा है.

सामूहिक विवाह समारोह (फाइल फोटो)

वैसे तो उत्तर प्रदेश में सरकार ने गरीब बेटियों की शादी का जिम्मा उठाया है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से अमेठी में मेंहदी लगने से पहले ही बेटियों की शादी टूटने लगी है. यहां मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में रजिस्ट्रेशन करा चुकी कई लड़कियों ने अपना दर्द बयां किया है. कहा कि केवल शादी ही नहीं टूटी, इसके साथ उनके सपने भी टूट गए हैं. इन परिस्थितियों बेटियों के साथ ही उनके घर वालों का भी रो-रोकर बुरा हाल हो रहा है. दूसरी ओर, अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने से भरसक परहेज कर रहे हैं.

जिले के सरायखेमा गांव की रहने वाली सुशीला देवी ने मीडिया के सामने अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि अपनी बेटी प्रियंका की शादी मुसाफिरखाना के सरैया गांव के रहने वाले दिलीप के साथ तय की थी. यह शादी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत होनी थी. इसके लिए कई महीनों पहले रजिस्ट्रेशन भी करा दिया था. इसी के साथ वह तैयारी में जुट गई थीं. उम्मीद थी कि बेटी की शादी होते ही उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी से मुक्ति मिल जाएगी. लेकिन सरकार अभी तक विवाह की तिथि ही नहीं तय कर पायी है.

टूटने की कगार पर पहुंची शादी

उन्होंने बताया कि बेटी की शादी हर मां-बाप का सपना होता है. अब इसमें भी बाधा आए तो मां-बाप किसे अपना दर्द बताएं और किसे किस्सा सुनाएं. उन्होंने कहा कि अधिकारी बार बार शादी की तारीख बदल रहे हैं. वहीं दूल्हे वाले शादी तोड़ने की बात कह रहे हैं. उनका तर्क है कि वह बाहर रहकर प्राइवेट नौकरी करते हैं और उन्हें बार-बार छुट्टी नहीं मिल सकती है. अब चिंता इस बात की है कि शादी टूटने पर दोबारा से रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.

और भी लड़कियों की है यही कहानी

इस तरह का मामला केवल एक लड़की के नहीं, बल्कि प्रियंका जैसी दर्जनों उन लड़कियों के साथ है जिनका इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन हुआ है. बता दें कि इस योजना में अमेठी में कुल 308 जोड़ों की शादी के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया है. सरकार की ओर से प्रति जोड़ा 60 हजार रुपये नकद, 25 हजार का सामान और 15 हजार रुपये खाने पर खर्च किया जाना है. इसके लिए जिला स्तर पर होने वाले सामूहिक विवाह की तारीख बार बार बदल रही है.

सरकार ने दिया ये तर्क

सामूहिक विवाह की बार-बार बदलती तारीखों पर अमेठी के कार्यवाहक समाज कल्याण अधिकारी ने अजीब तर्क दिया है. जिला समाज कल्याण अधिकारी एश्वर यादव के मुताबिक आयोजन के लिए जिस फर्म का चयन हुआ है, उसने अपने फर्जी दस्तावेज लगाए थे. इसलिए शादी की तारीख कैंसिल करनी पड़ी है. शासन द्वारा जैसे ही शादी की अगली तारीख घोषित होगी, सभी जोड़ों को सूचित करते हुए उस तिथि पर आयोजन करने की कोशिश की जाएगी.