3 साल से लंदन में मदरसा टीचर, फिर आजमगढ़ में हर साल कैसे लगा इंक्रीमेंट? गिर सकती है इन DMO पर गाज

आजमगढ़ में एक चौंकाने वाला मदरसा घोटाला सामने आया है. इस मदरसे में तैनात एक टीचर 11 साल से लंदन में रहते हुए भी लगातार सैलरी और इंक्रीमेंट लेता रहा, यहां तक कि उसे लंदन से ही वीआरएस के बाद पेंशन भी स्वीकृत हो गई. एटीएस जांच में खुलासा हुआ कि कई जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों (DMOs) की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ है.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक मामले आते ही रहते हैं, लेकिन इसी उत्तर प्रदेश में एक मामला ऐसा आ गया है, जो दिमाग घुमाकर रख देगा. यहां एक मदरसा टीचर 11 साल पहले ब्रिटेन गया और वहीं पर बस गया. बावजूद इसके, यहां मदरसे में उसकी हाजिरी लगातार लगती रही. यही नहीं, हर साल उसका इंक्रीमेंट भी होता रहा. फिर 2017 में इस मदरसा टीचर ने लंदन में ही बैठे-बैठे वीआरएस के लिए अप्लाई कर दिया. जिसे आजमगढ़ के अधिकारियों ने मंजूर करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी.

बड़ी बात यह कि यह गोरखधंधा केवल एक जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (DMO) के कार्यकाल में नहीं हुआ, बल्कि इस दौरान जो भी अधिकारी यहां आए, उन्होंने इस गोरखधंधे को आगे बढ़ाया. अब मामले का खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया है. फिलहाल इस मामले में यहां तैनात रहे तीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों लालमन, प्रभात कुमार और साहित्य निकत सिंह के खिलाफ रिपोर्ट शासन को भेजी गई है. यह तीनों फिलहाल बरेली, अमेठी और गाजियाबाद में इसी पद पर तैनात हैं.

एटीएस की जांच में खुलासा

कुछ समय पहले यूपी एटीएस को इस संबंध में कुछ इनपुट मिले थे. इस इनपुट की जांच की गई तो पता चला कि आजमगढ़ के मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत मदरसा अशरफिया मुबारकपुर में टीचर शमशुल की नियुक्ति 12 जुलाई 1984 को सहायक अध्यापक आलिया के पद हुई थी. 2007 में उसने मदरसा कमेटी को मैनेज किया और ऑन ड्यूटी ब्रिटेन चला गया. वहां रहने के दौरान ही 19 दिसंबर साल 2013 में उसने ब्रिटिश नागरिकता भी हासिल कर ली. फिर साल 2017 में उसने वीआरएस के लिए अप्लाई कर दिया.

हैरान कर देगा खुलासा

एटीएस की जांच में अगला जो खुलासा हुआ वो और भी हैरान करने वाला था. दरअसल मदरसा कमेटी की रिपोर्ट पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग साल 2007 से 2017 तक हर साल बिना किसी औपचारिकता के उसका इंक्रीमेंट करता रहा. यही नहीं, जब उसकी वीआरएस की फाइल आई तो इसमें उसके अच्छे आचरण को देखते हुए 1 अगस्त 2017 से मंजूरी देते हुए पेंशन स्वीकृत कर दी. एटीएस के अधिकारियों के मुताबिक मदरसा टीचर शमशुल सरकारी तनख्वाह और पेंशन लेकर विभिन्न देशों की यात्रा करते हुए इस्लाम का प्रचार कर रहा था.

निदेशालय के अधिकारी भी फंसेंगे

शमशुल के वीआरएस की फाइल के निस्तारण के मामले में अब अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय के अधिकारी भी फंसते नजर आ रहे हैं. खासतौर पर उन अधिकारियों को जांच के दायरे में लिया गया है जिन्होंने वीआरएस की फाइल पर साइन किया और जीपीएफ का भुगतान कराया. इसके अलावा मदरसे के प्रधानाचार्य के खिलाफ भी इस गोरखधंधे में संलिप्तता का आरोप है. फिलहाल मामले के खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.