आईटी इंजीनियर बना साइबर ठग, फर्जी आधार सॉफ्टवेयर बेचकर 2000 लोगों को लगाया चूना
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक ऐसा शख्स साइबर ठगी की दुनिया में आ गया, जिसने आईटी कंपनी में कुछ दिन नौकरी की थी. वो पढ़ने में काफी होनहार था. लेकिन, ज्यादा पैसे कमाने की लालच उसे गलत रास्ते पर ले गई और वो फर्जी आधार बनाने का सॉफ्टवेयर तैयार करने लगा. उसके इस काम का नेटवर्क चार राज्यों में फैल चुका था.
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में कभी पढ़ाई में अव्वल और आईटी कंपनी में अच्छी नौकरी करने वाला एक युवक आसान पैसे कमाने की लालच में साइबर ठग बन गया. बरेली एसटीएफ की टीम ने इस साइबर ठग को दबोच लिया, जो खुद को आईटी एक्सपर्ट बताकर लोगों को आधार कार्ड बनाने का फर्जी सॉफ्टवेयर बेच रहा था. यह सॉफ्टवेयर वह मात्र 1000 से 1500 रुपये में उपलब्ध कराने का झांसा दिया करता था. ऐसा करके उसने तकरीबन दो साल में करीब 2000 लोगों को ठगकर लाखों रुपये की कमाई कर ली.
सुभाषनगर पुलिया से गिरफ्तार
एसटीएफ यूनिट बरेली को कई दिनों से सूचना मिल रही थी कि एक युवक आधार कार्ड बनाने के नाम पर लोगों से ठगी कर रहा है. रात टीम ने सुभाषनगर पुलिया से जंक्शन रोड पर घेराबंदी की और आरोपी जयवीर गंगवार को गिरफ्तार कर लिया. जयवीर, राजेंद्र नगर प्रेमनगर का रहने वाला है और पिता का नाम मेवाराम बताया जा रहा है. गिरफ्तारी के बाद टीम ने उसकी तलाशी ली तो उसके पास से एक लैपटॉप, मोबाइल फोन, दो फर्जी आधार कार्ड और चार एटीएम/डेबिट कार्ड बरामद हुए. जांच में पता चला कि यही सामान ठगी करने के काम में इस्तेमाल किया जाता था.
नौकरी छोड़कर चुना अपराध का रास्ता
पुलिस की पूछताछ में जयवीर ने चौंकाने वाला खुलासा किया. उसने कंप्यूटर साइंस से बीटेक की पढ़ाई की है और पढ़ाई पूरी करने के बाद नोएडा की एक आईटी कंपनी में नौकरी करता था. लेकिन, अच्छी खासी नौकरी छोड़ उसने अपराध की राह पकड़ ली. जयवीर ने खुद फर्जी आधार बनाने का सॉफ्टवेयर तैयार किया. इसके बाद फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन डालना शुरू कर दिया.
विज्ञापन देखकर कई लोग उसके झांसे में आ जाते. वह एनीडेस्क सॉफ्टवेयर के जरिए ग्राहकों के कंप्यूटर में रिमोट एक्सेस लेता और खुद सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर देता. फिर, आईडी और पासवर्ड भी शेयर करता ताकि, लोग उस पर भरोसा करें. लेकिन जब सॉफ्टवेयर काम नहीं करता तो वह अलग-अलग बहाने बनाकर और रुपये मांगता. कई बार ग्राहकों से बार-बार पैसा ऐंठने के बाद वह संपर्क तक तोड़ देता था. इसी तरह उसने धीरे-धीरे हजारों लोगों से मोटी रकम ठग ली.
चार राज्यों में फैला नेटवर्क
एसटीएफ की शुरुआती जांच में सामने आया है कि जयवीर पिछले दो साल से इस ठगी के धंधे में लगा हुआ था. उसका नेटवर्क सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रहा बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात तक फैल गया. करीब 2000 लोग इस फर्जीवाड़े का शिकार हो चुके हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जयवीर बेहद चालाकी से काम करता था और हर बार नया मोबाइल नंबर और नया आईडी बनाकर लोगों से जुड़ता. कोई भी ग्राहक ज्यादा सवाल करता तो वह तुरंत संपर्क तोड़कर नया शिकार तलाश लेता था.
एसटीएफ ने जयवीर के खिलाफ थाना सुभाषनगर में धोखाधड़ी समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. अब यह जांच की जा रही है कि उसके साथ और कौन-कौन लोग इस रैकेट में जुड़े हुए हैं.
आसान पैसे की चाहत ने बिगाड़ा भविष्य
जयवीर की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो गया है कि आसान पैसे की चाहत इंसान को किस हद तक ले जा सकती है. एक पढ़ा-लिखा आईटी इंजीनियर जिसने पढ़ाई और नौकरी के दम पर बेहतर भविष्य बना सकता था, आज जेल की सलाखों के पीछे है. एसटीएफ अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि आधार कार्ड से जुड़ा कोई भी काम केवल सरकारी अधिकृत केंद्रों से ही कराएं. सोशल मीडिया या किसी अनजान व्यक्ति द्वारा बताए गए सॉफ्टवेयर और स्कीम पर भरोसा न करें, वरना ठगी का शिकार होना पड़ सकता है.