ये लड़ाकू मुर्गें हैं जनाब! मैदान में उतरते ही जीत लेते हैं बाजी…लाखों में लगती है बोली, कई राज्यों में डिमांड

आंध्र प्रदेश के बाद अब यूपी में भी लड़ाकू मुर्गों का खेल तेजी से बढ़ रहा है. बरेली के खान साहब के 'राजा' और 'किंग' जैसे मुर्गों की तो हरियाणा और राजस्थान में लाखों की बोली लगती है. विशेष प्रशिक्षण और डाइट से पाले गए ये मुर्गे लाखों की कमाई का जरिया बन गए हैं. यह शौक अब उनका रोजगार है, जिससे वे सालाना अच्छा-खासा पैसा कमाते हैं.

बरेली में लड़ाकू मुर्गे

आंध्र प्रदेश समेत दक्षिण के कई राज्यों में मुर्गों की लड़ाई की खबरें आपने खूब सुनी होगी. वहां मुर्गे लड़ाए जाते हैं और खूब मजमा लगता है. खासतौर पर मकर संक्रांति के पर पर तो लड़ाकू मुर्गों पर लाखों में दांव तक लगाए जाते हैं. अब यह खेल यूपी में भी आ चुका है. उतर प्रदेश के बरेली में दो मुर्गे ऐसे हैं, जिनकी डिमांड हरियाणा और राजस्थान में अक्सर रहती है. मैदान में इन मुर्गों पर दो से तीन लाख तक बोली भी लगती है. बरेली के धौरेरामाफी गांव के रहने वाले खान साहब की पहचान ही इन लड़ाकू मुर्गों की वजह से है.

वह कहते हैं कि इस समय उनके पास दो लड़ाकू मुर्गे राजा और किंग हैं. इनके अलावा कुछ छोटे मुर्गे भी हैं, जिन्हें विशेष ट्रेनिंग देकर भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन मुर्गों की परवरिश खास तरीके से होती है. मूल रूप से मुरादाबाद के रहने वाले खान साहब कई वर्षों से इन मुर्गों को पाल रहे हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में उन्होंने शौक से मुर्गे पाले, लेकिन अब यही मुर्गे कमा कर उनका भी गुजारा चला रहे हैं.

हर साल लाखों की कमाई करते हैं मुर्गे

वह कहते हैं कि उनके मुर्गे बड़े लड़ाके हैं. ये केवल लड़ते ही नहीं, मैदान में उतरते ही इनकी जीत पक्की हो जाती है और लाखों रुपये का इनाम लेकर लौटते हैं. कई तो बोली दो से तीन लाख रूपये तक चली जाती है. इन मुर्गों की डिमांड केवल बरेली में नहीं, बल्कि यूपी के कई जिलों के अलावा हरियाणा और राजस्थान में भी खूब है. उन्होंने बताया कि जब पहली बार अपने मुर्गे को मैदान में उतार तो 10 हजार का इनाम मिला था. अब तक उनके मुर्गों पर अधिकतम साढ़े लाख तक की बोली लग चुकी है. खासतौर पर बड़े आयोजनों में राजा और किंग की डिमांड आती है.

ऐसे चढ़ा शौक

वह कहते हैं कि गांव में तो लोग मुर्गे पालते ही ही हैं. देखा देखी उन्होंने भी मुर्गे पालने शुरू किए. इसी बीच उन्हें मुर्गों की लड़ाई और इससे होने वाली कमाई के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने मुर्गों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया. धीरे धीरे उनका शौक ही उनकी पहचान और रोजगार का जरिया बन गया. उन्होंने बताया कि उनके मुर्गों की डाइट भी स्पेशल है. इन्हें रोजाना मूंगफली, काजू, बादाम आदि तो दिया ही जाता है, समय समय पर फलों का जूस, दूध और करीब 50-50 ग्राम बकरे का मांस भी दिया जाता है.