इमरजेंसी में तड़पती रही महिला… नहीं आए डॉक्टर, फार्मासिस्ट के गलत इलाज से हुई मौत; मचा हड़कंप

बिजनौर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर के मौजूद नहीं होने की वजह से 22 साल की महिला की मौत हो गई. महिला को सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी, लेकिन डॉक्टर पोस्टमार्टम में करने में बिजी थे. फार्मासिस्ट ने महिला का इलाज किया, लेकिन महिला की हालत और बिगड़त गई और उसकी मौत हो गई.

महिला की हॉस्पिटल में मौत Image Credit:


बिजनौर के मेडिकल हास्पिटल में इमरजेंसी वार्ड में ही डाक्टर के मौजूद नहीं रहने की सजा एक बाइस साल की विवाहिता को जान देकर चुकानी पड़ी. मंगलवार रात नौ बजे बिजनौर के झालू कस्बे की एक शादीशुदा महिला काजल को ठीक तरह से सांस नहीं आने की शिकायत पर बिजनौर मेडिकल कालेज हास्पिटल लाया गया था. यहां पर उस समय इमरजेंसी वार्ड में डाक्टर मौजूद नहीं थे. जब डाक्टर के बारे में पूछा गया जानकारी दी गई कि इमरजेंसी में डाक्टर राज कुमार की ड्यूटी चल रही है.

डाक्टर राजकुमार पोस्टमार्टम करने के लिए गए हुए हैं और वो लगभग दो ढाई घंटे बाद ही लौटेंगे. इसीलिए वहां मौजूद फार्मासिस्ट ने ही काजल की बिमारी के बारे में जानकारी लेकर दवाई और इंजेक्शन दे दिया. उसकी दवाई से मरीज को राहत मिलने की बजाय कुछ ही देर उसे सांस लेने में होने वाली दिक्कत ज्यादा बढ़ गयी. काजल के पति मोनू ने काफी कोशिश की और इंतजार करता रहा कि कोई भी डाक्टर आकर इमरजेंसी में उसकी पत्नी को देख कर ट्रीटमेंट दे दे. डाक्टर राजकुमार को पोस्टमार्टम में व्यस्त बता कर मोनू को वापस इमरजेंसी वार्ड में ही भेज दिया गया जहां, डाक्टर राजकुमार के इंतजार में काजल ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.

डॉक्टर को खोजता रहा पति

पत्नी की अचानक से हालत खराब होने के बाद और मेडिकल अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर नहीं मिलने की वजह से काजल का पति मोनू भी बेहोश हो गया. सूचना के बाद पहुंचे डाक्टर ने मोनू का प्राथमिक उपचार किया. मायूस मोनू मेडिकल अस्पताल से बिना किसी कागजी कार्यवाही के काजल का शव साथ ले गया.

डॉक्टर ने ये बताई वजह

मेडिकल अस्पताल के इमरजेंसी डाक्टर राजकुमार से जब वहां ड्यूटी के समय नादारद रहने की वजह पूछी गई तो डाक्टर राजकुमार ने बताया कि पिछले एक महीने से सीएमओ के आदेश बाद इमरजेंसी डाक्टरों की भी पोस्टमार्टम हाऊस में पीएम के लिये ड्यूटी लगाई जा रही है, जिस वजह से वो पीएम हाऊस पोस्टमार्टम के लिये गये हुऐ थे. वहीं मेडिकल हास्पिटल के सीएमएस डा. मनोज सैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर दिया गया है कि मोर्चरी में शव आने के चार पांच घंटे के भीतर पीएम कर शव घरवालों को सौपना है जिस वजह से डाक्टरों की रोस्टर वाइज ड्यूटी लगाई गयी हुई है.

मेडिकल अस्पताल में डाक्टरों की कमी भी चल रही है. इसलिये मेडिकल हास्पिटल के इमरजेंसी डाक्टर को भी पोस्टमार्टम करने जाना पडता है. इसी बीच इलाज के लिए इमरजेंसी पेशेंट को कभी-कभार दिक्कत उठानी पड़ जाती है. इस घटना के बाद बिजनौर जिले के स्थानीय निवासियों ने मेडिकल हास्पिटल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कम से कम इमरजेंसी डाक्टर को पोस्टमार्टम हाऊस की जगह इमरजेंसी वार्ड में ही ड्यूटी पर अलर्ट रहने की मांग की है.