अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट JPNIC का मालिक बना LDA, 30 साल में सरकार को लौटाएगा 822 करोड़ रुपये

उत्तर प्रदेश सरकार ने जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) का संचालन लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंप दिया है. समाजवादी पार्टी के ड्रीम प्रोजेक्ट JPNIC का निर्माण कार्य अधूरा था और विवादों से घिरा हुआ था. अब LDA इसका निर्माण कार्य पूरा करेगा और केंद्र का संचालन देखेगा. यह फैसला सपा और बीजेपी के बीच राजनीतिक बहस को और तेज कर सकता है. वहीं सरकार का दावा है कि इससे जनता को लाभ होगा.

अखिलेश यादव Image Credit:

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाजवादी पार्टी के ड्रीम प्रोजेक्ट जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) को लेकर बड़ा फैसला लिया है. 3 जुलाई को योगी कैबिनेट ने JPNIC के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंप दी है. साथ ही, समाजवादी सरकार ने JPNIC के संचालन के लिए बनाई गई JPNIC सोसाइटी को भंग कर दिया है. JPNIC, लखनऊ के गोमती नगर के विपिन खंड में 18.64 एकड़ में फैला एक बहुउद्देश्यीय सम्मेलन केंद्र है. जिसे बनाने की शुरुआत सपा सरकार ने 2013 में की थी.

इस परियोजना पर करीब 800 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. वहीं 2017 तक 80 प्रतिशत तक निर्माण पूरा हो चुका था. इस केंद्र में जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा, संग्रहालय, ऑल वेदर स्विमिंग पूल, बैडमिंटन कोर्ट, लॉन टेनिस कोर्ट, गेस्ट हाउस और हेलीपैड जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं

हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर ये प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर बनाया गया था. हालांकि, 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. इसके बाद से JPNIC विवादों के घेरे में रहा. लखनऊ विकास प्राधिकरण को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया था, जिसके कारण यह परियोजना अधूरी पड़ी रही. इसका ढांचा खंडहर में तब्दील होने लगा. कैबिनेट के इस फैसले के तहत अब LDA न केवल JPNIC के बचे हुए निर्माण कार्य को पूरा करेगा, बल्कि इसका संचालन और रखरखाव भी करेगा.

अधिकारियों के मुताबिक, इसे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तर्ज पर एक बहुउद्देश्यीय केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. इस कदम से लंबे समय से रुके इस प्रोजेक्ट को पूरी होने की उम्मीद है. हालांकि, इस फैसले ने एक बार फिर सपा और बीजेपी के बीच सियासी बयानबाजी तेज होगी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले आरोप लगाया था कि योगी सरकार JPNIC को निजी हाथों में बेचने की कोशिश कर रही है. उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया पर कहा था कि यदि सरकार इसे चलाने में असमर्थ है, तो समाजवादी इसे खरीदने को तैयार है.

जनता के हित में होगा इसका इस्तेमाल

योगी सरकार का कहना है कि यह कदम परियोजना को फिर से शुरू करने और जनता के हित में इसका उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. LDA उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि JPNIC के संचालन के लिए नीतियां बनाई जाएंगी. इसे एक प्रमुख सांस्कृतिक और सम्मेलन केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा.

JPNIC को लेकर पिछले कुछ में कई विवाद सामने आए हैं. हर साल जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस केंद्र में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने जाते थे, लेकिन योगी सरकार ने सुरक्षा कारणों और निर्माणाधीन स्थिति का हवाला देकर उन्हें रोकने की कोशिश की गई, जिससे सियासी हंगामा हुआ. इस फैसले के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि JPNIC का भविष्य क्या होगा और क्या यह वास्तव में लखनऊ के लिए एक गौरवशाली केंद्र बन पाएगा? जैसा कि सपा सरकार ने इसका सपना देखा था.