बिजनौर में सामूहिक सुसाइड से हड़कंप, मजदूर परिवार ने क्यों खाया जहर? 10 साहूकारों पर FIR

बिजनौर में एक मजदूर परिवार ने कर्ज के बोझ से तंग आकर सामूहिक आत्महत्या कर ली. इस परिवार ने तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन किश्तें चुकाने के बाद भी 6 लाख रुपये का बकाया था. इसी दबाव में मजदूर परिवार ने जहरीला पदार्थ खा लिया. इस घटना में महिला और उसकी दो बेटियों की मौत हो गई है, जबकि खुद मजदूर की हालत नाजुक है.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक दिल दहलाने वाली सनसनीखेज घटना हुई है. यहां कर्ज के मकड़जाल में फंसे एक मजदूर परिवार ने सामूहिक सुसाइड किया है. इस मजदूर ने कुछ दिन पहले तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था. सभी किश्तें समय से चुकाई, लेकिन कर्ज घटने के बजाय डबल हो गया. अब साहूकार मजदूर परिवार पर कर्ज चुकाने के लिए दबाव बना रहा था. यह दबाव किसान परिवार झेल नहीं पाया और मजदूर दंपति ने अपनी दो बेटियों के साथ सुसाइड कर लिया. इस घटना की खबर से जिले में हड़कंप मच गया है.

मामला बिजनौर के नूरपुर में टंडेरा गांव का है. जानकारी के मुताबिक यह मजदूर पुखराज प्रजापति का परिवार झोपडी में रह कर गुजर बसर कर रहा था. पुखराज प्रजापति ने कई बार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवासीय योजना में मकान के लिए आवेदन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इसी बीच बड़ी बेटी शादी लायक हुई तो तीन लाख रुपये कर्ज लेकर उसकी शादी कर दी. अब पुखराज और उसका बेटा दिन भर ईंट भट्ठे पर काम करते और जो मजदूरी मिलती से उससे कर्ज की किश्तें भरते थे. इसमें भी जो थोड़ा बहुत बचता, उसे परिवार का पालन पोषण करते थे.

पूरे परिवार ने खाया जहर

पुखराज के बेटे सचिन ने बताया कि कर्जे की जिल्लत और गरीबी से छुटकारा पाने के लिए शुक्रवार को उसके 53 वर्षीय पिता पुखराज, 50 वर्षीय मां रेशमिया, 21 वर्षीय बहन अनीता और 19 वर्षीय बहन सुनीता ने जहरीली दवा खा लिया. इस घटना में उसकी मां और दोनों बहनों की मौत हो गई है, जबकि उसके पिता की हालत नाजुक बनी हुई है. फिलहाल उन्हें मेरठ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है. उधर, घटना के बाद हरकत में आए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव में ब्याज पर कर्ज बांटने वाले 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

अब एक्शन में पुलिस एवं प्रशासन

सचिन ने बताया कि घटना के दिन वह अकेले ही काम पर गया था. जब वह शाम को घर लौटा तो उसने देखा कि माता पिता और बहनें अचेत पड़ी हैं. इसके बाद उसने पड़ोसियों को घटना की जानकारी दी. सचिन के मुताबिक इस समय बरिश के मौसम में उसकी झोपड़ी टपकने लगी थी. इसलिए ऊपर लगाने के लिए पन्नी खरीदना था और 25 तारीख को 10 हजार रुपये की किश्त देनी थी. इसके लिए वह दोनों पिता पुत्र ओवरटाइम काम कर रहे थे. फिर भी रुपयों की व्यवस्था ना हो पाने की वजह से उसके पिता दुखी थे. डीएम बिजनौर जसजीत कौर के मुताबिक मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है.