शराब पीकर गाड़ी चलाई तो खैर नहीं! गाड़ी सीज, FIR और लाइसेंस होगा सस्पेंड

उत्तर प्रदेश में ट्रैफिक नियमों में लापरवाही बरतने वालों की अब खैर नहीं है. खासकर ऐसे लोग जो नशे की हालत में ड्राइविंग करते हैं. नशा करने के बाद अगर कोई शख्स गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसके ड्राइविंग लाइसेंस को सस्पेंड करने के साथ-साथ गाड़ी को भी सीज कर दिया जाएगा.

गाड़ी चालकों की चेकिंग (वीडियो ग्रैब) Image Credit: ट्विटर

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे और यात्रियों की सुरक्षा के लिए मोटर व्हीकल एक्ट को सख्ती से लागू करने के निर्देश किए गए हैं. अगर को गाड़ी चालक शराब पिए हुए हालत में पाया जाता है तो उसकी गाड़ी को सीज कर दिया जाएगा चालक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी. इतना ही नहीं अगर चालक ऐसा करते हुए दोबारा से पाया जाता है तो उसके ड्राइविंग लाइसेंस को तीन महीने के लिए सस्पेंड भी कर दिया जाएगा. ओवर स्पीड में गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ नकेल कसने के लिए ये फैसला लिया गया है. वहीं अगर तीन महीने में अगर उसकी गाड़ी सीज होती है तो ड्राइविंग लाइसेंस को निरस्त कर दिया जाएगा.

इंटरसेप्टर की ली जाएगी मदद

इस बदलाव को जमीनी तौर पर लागू करने के लिए 142 इंटरसेप्टर की मदद ली जाएगी. जिसमें 70 नए इंटरसेप्टर को भी शामिल किया गया है, ताकि ओवर स्पीड को चेक किया जा सके. वहीं ऐसे लोग जो ड्राइविंग के समय फोन पर बात करते हैं या फिर सही दिशा में गाड़ी को नहीं चलाते हैं. उनके खिलाफ भी सख्ती बरपी जाएगी. इसके साथ ही जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी, उसे पूरी तरह कैमरे पर रिकॉर्ड किया जाएगा. ताकि, दोनों तरफ से विश्वनीयता बनी रहे और मौके पर मौजूद लोग पक्षपात करने की बात न कहें. परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि जो लोग नशे में गाड़ी चलाते हैं और ओवरस्पीड रहते हैं उनके खिलाफ चालान सहित सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

75 जिलों में होगी चेकिंग

गाड़ियों की चेकिंग उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में चालाया जाएगा. इसके लिए 350 संवेदनशील रास्तों को चुना गया है. जहां पर सड़क दुर्घटनाओं होने की संख्या जादा है.आरटीओ दिनेश कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय और राज्य के हाइवे पर इस तरह की दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही हैं, जबकि एक्प्रेस-वे पर इसकी संख्या कम है. ऐसे में इसे कम करने के लिए इन नियमों को लागू करना आवश्यक है.

अभी तक नशे की हालत में पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं होती थी. सिर्फ उनके खिलाफ चालान किया जाता था. या फिर डराने के लिए थाने में कुछ देर के लिए रोक दिया जाता था. लेकिन अब नियमों में बदलाव के साथ स्थिति को सुधारने पर काम किया जा रहा है.