तो इसलिए रुके 3,333 करोड़ रुपये, अटके हैं विकास के काम… मंत्री ने लगाई फटकार

उत्तर प्रदेश में शहरों के विकास के लिए दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क से प्राप्त धनराशि का उपयोग करने में नगरीय निकायों और विकास प्राधिकरणों की लापरवाही के कारण 3,333.84 करोड़ रुपये की अगली किश्तों का भुगतान रुका हुआ है. स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) समय पर जमा न करने पर नाराजगी जताई और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि बिना यूसी के तीसरी किश्त का भुगतान नहीं होगा, जिससे विकास कार्यों में देरी हो रही है.

मंत्री रविंद्र जयसवाल (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में शहरों के विकास के लिए दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क से प्राप्त धनराशि के उपयोग में नगरीय निकायों और विकास प्राधिकरणों की लापरवाही सामने आई है. स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने इस पर नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) शीघ्र जमा करने के निर्देश दिए हैं, ताकि अगली किस्त की धनराशि जारी की जा सके.

सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई समीक्षा बैठक में मंत्री ने स्पष्ट किया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए दी गई धनराशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक कई नगरीय निकायों ने जमा नहीं किया है. इसके अभाव में 3,333.84 करोड़ रुपये की अगली किश्तों का भुगतान रुका हुआ है. उन्होंने कहा कि दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क की राशि तीन महीनों के आधार पर चार किश्तों में दी जाती है, लेकिन उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर जमा न होने से प्रक्रिया बाधित हो रही है.

मंत्री के सख्त निर्देश

मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र के तीसरी किश्त का भुगतान संभव नहीं होगा. उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि पूर्व में दी गई धनराशि का हिसाब प्रस्तुत करें, ताकि विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके. बैठक में कई नगरीय निकायों के वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति पर भी मंत्री ने नाराजगी जताई.

बैठक में शामिल हुए प्रमुख अधिकारी

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव अमित कुमार गुप्ता, महानिरीक्षक निबंधन नेहा शर्मा, सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, निदेशक, नगर आयुक्त, उपाध्यक्ष, सीईओ, सचिव और अधिशासी अधिकारी शामिल होने के लिए निर्देशित किए गए थे. हालांकि, कई निकायों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसे गंभीरता से लिया गया.

क्यों अटकी है धनराशि?

दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क से प्राप्त धनराशि का उपयोग शहरों में आधारभूत संरचना और विकास कार्यों के लिए किया जाता है. लेकिन, उपयोगिता प्रमाण पत्र न जमा होने के कारण अगली किश्तों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. मंत्री ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी निकाय पिछले वित्तीय वर्ष की धनराशि का हिसाब नहीं देंगे, तब तक नई किश्त जारी करना मुश्किल होगा.

विकास कार्यों पर असर

इस लापरवाही का सीधा असर शहरों में चल रहे विकास कार्यों पर पड़ रहा है. बिना समय पर धनराशि के आवंटन के कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं. मंत्री ने अधिकारियों को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने और उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने के लिए सख्त समयसीमा का पालन करने का निर्देश दिया है.

मंत्री ने कहा कि उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त होने के बाद ही अगली किश्त की धनराशि जारी की जाएगी. उन्होंने नगरीय निकायों और विकास प्राधिकरणों को चेतावनी दी कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए सभी को जवाबदेह बनना होगा.