श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम से क्यों दौड़ जाती है सिहरन? इन नेताओं की ली थी सुपारी, STF के गठन से कनेक्शन

पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के आतंक से 27 साल बाद आज भी कई लोग सिहर उठते हैं. इनमें उन्नाव सांसद साक्षी महाराज भी शामिल हैं. श्रीप्रकाश के खात्मे के लिए ही पहली बार देश में एसटीएफ का गठन हुआ. जिसने उत्तर प्रदेश से माफिया राज खत्म करने में अहम भूमिका निभाई.

हरिशंकर तिवारी, साक्षी महाराज और श्रीप्रकाश शुक्ला Image Credit:

पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के 27 साल हो चुके हैं. श्रीप्रकाश के खात्मे के साथ ही अपराध का एक युग भी खत्म हो गया, लेकिन आज भी कई लोग हैं, जो श्रीप्रकाश शुक्ला की चर्चा से ही सिहर उठते हैं. इनमें बीजेपी के एक सांसद भी शामिल हैं. हो भी क्यों नहीं, साल 1998 के शुरूआती महीने में उन्हें श्रीप्रकाश के रूप में साक्षात मौत नजर आने लगी थी. यह एक रोमांचक घटना है और इसी घटना के गर्भ से देश में पहली बार एसटीएफ का जन्म हुआ था. आइए, पूरी कहानी शुरू से बताते हैं.

90 का दशक में पूर्वांचल की राजनीति में अपराध का समावेश हो रहा था. बल्कि दूसरे शब्दों में कहें तो अपराध का राजनीतिकरण और राजनीति का अपराधीकरण हो रहा था. उस वक्त तक गोरखपुर में दो बाहुबली हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र शाही एक दूसरे पर अपनी खूब ताकत आजमा रहे थे. उन्हीं दिनों हरिशंकर तिवारी की सरपरस्ती में कुख्यात माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का उदय हुआ. चूंकि श्रीप्रकाश बहुत ही महत्वाकांक्षी था और वह जल्द से जल्द अंडरवर्ल्ड पर एकछत्र राज करना चाहता था, इसलिए हरिशंकर तिवारी ज्यादा देर तक उसे अपने खेमे में रोक नहीं पाए.

सूरजभान बना आपराधिक गुरू

चूंकि गोरखपुर रेलवे मंडल का क्षेत्र बिहार में भी लगता है और उन दिनों रेलवे का काफी काम बिहार में भी चल रहा था. इसलिए रेलवे के ठेकों के बहाने बिहार में मोकामा से गैंगस्टर सूरजभान भी गोरखपुर आ गए थे. उन्हें यहां एक ऐसा आदमी चाहिए था, जो ना केवल हरिशंकर तिवारी, बल्कि वीरेंद्र शाही को भी रोक सके. इस लिहाज से सूरजभान को श्रीप्रकाश ठीक लगा और उसे अपनी सरपरस्ती दी. फिर क्या था, कुछ ही दिन में श्रीप्रकाश ने वीरेंद्र शाही को ठिकाने लगा दिया. हरिशंकर तिवारी की भी सुपारी ले ली. लेकिन ऐन वक्त पर यूपी एसटीएफ ने उसे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मार गिराया.

किस नेता की श्रीप्रकाश ने ली थी सुपारी?

वीरेंद्र शाही की हत्या के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला का कद और पद अंडरवर्ल्ड में काफी ऊंचा हो गया था. उसे निखारने वाले हरिशंकर तिवारी भी उससे इतना खौफ खाने लगे थे कि वह हमेशा श्रीप्रकाश के पिता को अपनी गाड़ी में बैठाकर चलने लगे थे. यहां तक कि उन्नाव से मौजूदा सांसद साक्षी महाराज से भी श्रीप्रकाश की ठन गई. एसटीएफ के तत्कालीन अधिकारियों के मुताबिक उन्हीं दिनों श्रीप्रकाश ने एक हरिशंकर तिवारी को धमकी दे दी. कहा कि ‘बाबूजी आपके दिन लद गए’. हालांकि पूर्व सीओ अविनाश मिश्रा कहते हैं कि यह धमकी श्रीप्रकाश शुक्ला ने साक्षी महाराज को दी थी. दरअसल, उन दिनों साक्षी महाराज, हरिशंकर तिवारी और सीएम कल्याण सिंह, तीनों को ही बाबूजी कहा जाता है. माना जाता है कि हरिशंकर तिवारी और साक्षी महाराज दोनों ने कल्याण सिंह को समझा दिया कि यह धमकी सीएम के लिए है.

श्रीप्रकाश के लिए ही बनी एसटीएफ

कल्याण सिंह को जब पता चला कि श्रीप्रकाश ने उनकी सुपारी ली है तो उन्होंने आनन फानन में प्रदेश के टॉप अफसरों की मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ‘दिन भर में मैं 10-20 सुपारी खा जाता हूं, लेकिन अब किसी ने मेरी सुपारी ली है’. कुछ दिन पहले ही न्यूयार्क का दौरा कर लौटे तत्कालीन गृह सचिव राजीव रतन शाह भी उस मीटिंग में मौजूद थे. उन्होंने सीएम को सुझाव दिया कि श्रीप्रकाश अब परंपरागत पुलिस के बस का नहीं रहा. उसके लिए एसटीएफ बनाना होगा. ऐसी एसटीएफ जिसके क्षेत्राधिकार में पूरा प्रदेश हो. बैठक में मुख्य सचिव और डीजीपी भी थे. उन्होंने इसपर सहमति जताई और तत्काल आईपीएस अरुण कुमार और अजयराज शर्मा को बुलाकर उनके नेतृत्व में देश की पहली एसटीएफ का गठन कर दिया गया.

आज भी बनती है 50 बदमाशों की लिस्ट

एसटीएफ का गठन कर शुरूआती टीम 17 पुलिस अफसर की बनाई गई. इसके बाद खुद तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह ने इस टीम को 50 बदमाशों लिस्ट थमाई. इनमें श्रीप्रकाश का नाम सबसे ऊपर था. इस टीम को छह महीने का समय दिया गया. एसटीएफ ने शानदार प्रदर्शन किया और कुछ बदमाशों को मार गिराया तो कुछ को जेल में ठूंस दिया. इस काम को देखते हुए छह महीने बाद यूपी एसटीएफ को स्थाई कर दिया गया. हालांकि आज भी यूपी एसटीएफ टॉप 50 की लिस्ट पर ही काम करती है.