अब शहरों में मकान के साथ बनेंगी दुकानें, 18 मीटर सड़कों पर शॉपिंग मॉल को मंजूरी

उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी में विकास की पटरी को तेज करने के लिए कैबिनेट बैठक में एक अहम फैसला लिया गया. इस पहल के तहत शहरो में लोग अपने घर के साथ दुकान भी बना सकेंगे. इसके साथ ही उन्हें छोटे प्लॉट्स पर नक्शा पास कराने की भी जरूरत नहीं होगी. वो बिना नक्शा पास करवाए बिल्डिंग्स या दुकानें बनवा सकेंगे.

सीएम योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहर में विकास और प्रगति के लिहाज एक नया कदम उठाया है. अब लोग शहरों में अपने घर के साथ दुकानें बना सकेंगे. इसके साथ ही वो 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर शॉपिंग मॉल बनवाना भी संभव होगा. इसके साथ ही छोटे भूखंडों पर नक्शा पास कराना भी जरूरी नहीं होगा. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि, विकास प्राधिकरणों में होने वाली अनावश्यक वसूली पर लगाम लगाया जा सके. सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.

इसके तहत उत्तर प्रदेश भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2008 को हटाकर नई उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधियां तथा आदर्श जोनिंग रेगुलेशन्स-2025 लागू की गई हैं. यह नई व्यवस्था शहरी क्षेत्रों में मिले-जुले प्लॉट्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देगी, जिसकी वजह से आवासीय और व्यावसायिक निर्माण को एक साथ आसानी से किया जा सकेगा.

मकान के साथ दुकान, छोटे प्लॉट्स को राहत

नई नीति के तहत 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 24 मीटर और छोटे शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर लोगों के घरों के साथ व्यावसायिक निर्माण की अनुमति दी गई है. इसके अलावा, 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर अब नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी. इन भूखंडों पर निर्माण के लिए केवल विकास प्राधिकरण में रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

इसके साथ ही स्वीकृत ले-आउट क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 200 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों के लिए ऑनलाइन दाखिल नक्शे को विश्वास के आधार पर स्वतः स्वीकृत माना जाएगा. 300 वर्ग मीटर तक के एकल आवासीय भवनों के लिए भी नक्शा स्वतः अनुमोदित होगा, बशर्ते सभी देय शुल्कों का भुगतान और आवश्यक प्रमाण-पत्र जमा किए जाएं.

ऊंची इमारतों और शॉपिंग मॉल खुलेंगे

सरकार ने ऊंची इमारतों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की सीमा को बढ़ाया है. खास तौर पर 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर एफएआर की सीमा को पूरी तरह हटा दिया गया है, जिससे ऊंची बिल्डिंग्स बनाना आसान होगा. 100-300 वर्ग मीटर के प्लॉट के लिए एफएआर को 2.25 से बढ़ाकर 2.5 और 300-1200 वर्ग मीटर के भूखंडों के लिए 2.5 कर दिया गया है.

ग्रीन-रेटेड घरों या बिल्डिंग्स के लिए अतिरिक्त निःशुल्क एफएआर की सुविधा भी दी जाएगी. 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर अब शॉपिंग मॉल बनाने की अनुमति होगी, जबकि 7 मीटर चौड़ी सड़कों पर उद्योग और हेरिटेज होटल और 9 मीटर चौड़ी सड़कों पर बिना शैय्या वाले चिकित्सा प्रतिष्ठान और प्राथमिक विद्यालय बनाए जा सकेंगे.

पेशेवरों के लिए विशेष छूट आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर और वकील जैसे पेशेवर अपने घर के 25 प्रतिशत हिस्से को कार्यालय के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे, बशर्ते पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था हो. इसके लिए अलग से नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं होगी. इसके अलावा, नर्सरी, क्रैच और होमस्टे संचालन के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध होगी.

छोटे प्लॉट्स वालों को भी मिलेगी राहत

पार्किंग और ग्रुप हाउसिंग में बदलाव पार्किंग की समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पोडियम पार्किंग और मैकेनाइज्ड ट्रिपल-स्टैक पार्किंग की अनुमति दी है. 4000 वर्ग मीटर से बड़े प्लॉट्स के लिए अलग से पार्किंग ब्लॉक बनाया जाएगा. अस्पतालों के लिए अलग एम्बुलेंस पार्किंग और स्कूलों के लिए बस पार्किंग व पिक-एंड-ड्रॉप जोन की व्यवस्था भी की गई है.

ग्रुप हाउसिंग के लिए प्लॉट का न्यूनतम क्षेत्रफल 2000 वर्ग मीटर से घटाकर बिल्टअप क्षेत्र में 1000 वर्ग मीटर और गैर-बिल्टअप क्षेत्र में 1500 वर्ग मीटर कर दिया गया है. ज्यादा यूनिटी के घरों के लिए प्लॉट का क्षेत्रफल 150 वर्ग मीटर तक कम किया गया है. नागरिकों और कारोबारियों को राहत मिलेगी. इस नई नीति से न केवल आम नागरिकों को छोटे प्लॉट्स पर बिल्डिंग बनाने में आसानी होगी, बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा. शहरी क्षेत्रों में मिश्रित जमीनों के इस्तेमाल की छूट और नक्शा पास करने की प्रक्रिया को सरल करने का लालच देकर विकास प्राधिकरणों में होने वाली अनावश्यक देरी और वसूली पर भी रोक लगेगा.

सीएम ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश के शहर आधुनिक और व्यवस्थित हों, जहां लोगों को आवासीय और व्यावसायिक जरूरतों के लिए एक ही स्थान पर सुविधाएं मिल सकें बल्कि, यह नीति न केवल शहरी विकास को बढ़ावा देगी. बल्कि इसकी मदद से रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी. सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश को देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में शामिल करने की दिशा में एक और कदम है.