8 साल से खराब थी सड़क, गांव की बेटियों ने कर दिया कुछ ऐसा कि… पास हो गया बजट
जालौन के गांव से लेकर जुझारपुरा तक जाने वाली मंडी समिति की सड़क बीते आठ वर्षों से पूरी तरह जर्जर थी.सड़क पर जगह-जगह गड्ढे होने से लोगों का आना-जाना मुश्किल हो चुका था.अब इसको लेकर गांव की बेटियों ने कुछ ऐसा किया कि महीने भर में ही इस सड़क के निर्माण के लिए बजट पास हो गया.

जालौन जिले के गांव चमेड़ की आबादी तकरीबन ढाई हजार लोगों की है. यहां की सड़क पिछले 8 सालों से जर्जर स्थिति में है. जगह-जगह बड़े गड्ढे होने के चलते यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है. सबसे ज्यादा परेशानी इस रास्ते का इस्तेमाल कर स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं को होती है. बावजूद इसके पिछले 8 सालों से इस सड़क की मरम्मत नहीं करवाई गई.
रोजाना होने वाली परेशानियों से आजिज आकर गांव चमेड़ की बेटियों ने एक शानदार पहल किया है. उन्होंने ना केवल इस जर्जर सड़क की शिकायत अधिकारियों से की बल्कि इसके लिए 49.5 लाख रुपये का बजट भी पास करा लिया. अब पूरे क्षेत्र के लोग छात्राओं के इस पहल की तारीफ कर रहे हैं.
छात्राओं ने एसडीएम को लिखा था शिकायती पत्र
बेटियों ने तकरीबन एक महीने पहले खराब सड़क को लेकर एसडीएम कोंच ज्योति सिंह और मंडी सभापति को शिकायती पत्र लिखा और अपनी समस्याएं बताई. एसडीएम ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मंडी समिति से प्रस्ताव बनवाया और शासन को सड़क की मरम्मत की मंजूरी के लिए अप्रूवल भेजा.
एसडीएम ज्योति सिंह ने खुद दी जानकारी
शासन से सड़क की मरम्मत का अप्रूवल मिलने के बाद एसडीएम ज्योति सिंह ने खुद मंडी सचिव सोनू के साथ गांव पहुंची और लोगों को सड़क निर्माण के लिए पास हुए 49.85 लाख रुपये बजट के बारे में जानकारी दी. एसडीएम ज्योति सिंह के मुताबिक चमेड़ से जुझारपुरा तक 1.46 किलोमीटर लंबी डामर सड़क बनाई जाएगी. दो महीने के भीतर टेंडर प्रक्रिया पूरी कराकर सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा.
बेटियों ने वह कर दिखाया जो बड़े बुजुर्ग नहीं कर पाए
एसडीएम ज्योति सिंह के इस एलान के बाद ग्रामीण बेहद खुश हैं और बेटियों की जमकर तारीफ कर रहे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि वर्षों से इस सड़क की दुर्दशा झेलनी पड़ रही थी लेकिन छात्राओं ने साहस दिखाकर वह काम कर दिया जो बड़े-बुजुर्ग भी नहीं कर पाए.
एसडीएम ज्योति सिंह ने की छात्राओं की तारीफ
एसडीएम ज्योति सिंह ने भी छात्राओं की तारीफ करते हुए कहा कि बेटियां आज किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं. उन्होंने अपने हक और गांव के विकास के लिए आवाज उठाकर एक मिसाल कायम की है. यह पहल समाज को भी संदेश देती है कि समस्याओं को नजरअंदाज करने के बजाय अगर लोग आगे बढ़कर आवाज उठाएं तो समाधान जरूर मिलता है.