गंगा में लापरवाही बनी मौत की वजह… कानपुर में 78 दिनों में 22 लोग डूबे
कानपुर में गंगा नदी में डूबकर मरने वाले लोगों की संख्या में बढ़त हुई है. यहां 78 दिनों में कुल 22 लोगों की जान चली गई है. यहां डूबने वाले ज्यादातर लोगों की मौतें चेतावनी चिन्हों की अनदेखी करने की वजह से हुई है. चेतावनी दिए जाने वाले प्रतिबंधित जगहों पर जाकर नहाने की वजह से ज्यादातर लोग डूब गए हैं.
पानी हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा है, कई बार समय से खाने को कुछ नहीं मिलने पर शख्स जी सकता है लेकिन पानी के बिना जीवन संभव नहीं है. इसी वजह से किसी भी नदी को जीवित लोगों के लिए लाइफलाइन कहा जा सकता है. ऐसे में जब ये लाइफलाइन साफ-सुथरी न होकर जानलेवा हो जाए तो ये कितना मुश्किल हो जाता है. ये मुश्किल भी तब ही आती है जब हम इसे मजाक के तौर पर लेते हैं और इसके साथ खिलवाड़ करने लगते हैं.
जब हमारी लापरवाही और जिद्द सारी सीमा पार कर लेती है तो ये जानलेवा हो जाता है. ऐसा ही कुछ कानपुर में देखने को मिल रहा है. यहां नदी में डूबने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो वाकई में डराने वाली है. अगर आंकड़ों की बात करें तो महज 78 दिनों के भीतर 22 लोगों की डूबने की वजह से मौत हो गई.
गंगा बैराज एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
ऐतिहासिक शहरों से गुजरने के कारण गंगा नदी काफी अहम है. चाहे बात संडे को परिवार के साथ घूमने की हो या फिर किसी त्योहार पर गंगा में पवित्र डुबकियां, कानपुर के लोगों को हमेशा गंगा की गोद में पहुंचाती है. ऐसे में जब वहां श्रद्धा से उठकर लोग उत्पात की स्थिति में आते हैं और लापरवाही की पराकाष्ठा को पार करते हैं तो ये जानलेवा हो जाती है. कानपुर में गंगा के किनारे दर्जनों घाट है. इसके अलावा यहां का गंगा बैराज एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है. इसके साथ जुड़ी हुई है चेतावनी.
कानपुर में मौजूद सभी घाटों और गंगा बैराज पर प्रशासन की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं है कि कोई भी शख्स तय की गई सीमा से आगे नहीं जाएगा. इसके अलावा कई जगहों पर पानी में जाने को बिल्कुल ही मना कर दिया गया है. लाखों चेतावनी और दर्जनों बोर्ड लगाने के बाद भी लोग गंगा के अंदर जाने से बाज नहीं आते.
गंगा में डूबने से मौत
लगभग हर तीसरे दिन एक शख्स की मौत डूबने से हो जाती है. एडीएम एफ आर विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2025-17 जून, 2025 तक 22 लोगों की गंगा में डूबने से मौत हो चुकी है. इनको मुआवजा भी दिया गया है. इतनी मौतें मात्र 74 दिनों के अंदर है. इसमें से ज्यादातर मौत गंगा में डूबने से हुई है.
अगर हम तहसील की बात करें तो 22 मौतों में से 8 बिल्हौर तहसील में, 3 घाटमपुर, 7 सदर और 4 मौतें नरवल तहसील में हुई हैं. इन सभी मामलों में मृतक नहाने गए हुए थे और चेतावनी बोर्ड के बावजूद गहरे पानी में चले गए और फिर उनको बचाया नहीं जा सका. प्रशासन की तरफ से एक बार फिर सभी को निर्देश दिए गए हैं कि घाटों में सिर्फ वहीं तक जाए जहां सुरक्षा जंजीर लगी है और जाने की अनुमति है. इसके अलाव नदी में उतरने का प्रयास बिल्कुल ना करें. उन जगहों पर बिल्कुल ना जाए जहां जाने की बिल्कुल मनाही है. जीवन सबका अनमोल है और आप अपने परिवार की लाइफ लाइन है.