फर्जीवाड़ा कर बनाई 41 संपत्तियां, फिर कर दी एक ऐसी गलती… कानपुर के करोड़पति कानूनगो का किस्सा
कानपुर में एक कानूनगो आलोक दुबे को 41 अवैध संपत्तियां बनाने और जमीन सौदों में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में डिमोट कर लेखपाल बना दिया गया है. डीएम कानपुर की जांच में पद का दुरुपयोग और सरकारी आचरण नियमों का उल्लंघन पाया गया. इसके बाद आरोपी कानूनगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं.

कहते हैं कि पुलिस में दरोगा और राजस्व विभाग में लेखपाल-कानूनगो का लिखा कोई नहीं काट पाता. उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक कानूनगो ने इसी बात का फायदा उठाया और फर्जीवाड़ा 41 संपत्तियां बना ली. देखते ही देखते यह कानूनगो करोड़पति बन बैठा, लेकिन अवैध कमाई की धुन में यह कानूनगो डीएम के शिकंजे में फंस गया. मामले की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर डीएम कानपुर ने उसे डिमोट कर फिर से लेखपाल बना दिया है. साथ ही उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं.
जमीन के विवादित सौदों में गड़बड़ी करने और मिलीभगत कर जमीन हड़पने के मामले में फंसा यह कानूनगो आलोक दुबे है. इसके खिलाफ डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह ने डिमोशन की कार्रवाई के साथ ही उसके सेवा अभिलेख में परिनिन्दा (निंदा) की प्रविष्टि दर्ज की है. डीएम ने यह कार्रवाई संदीप सिंह नामक एक व्यक्ति की शिकायत पर की है. इस शिकायत पर उन्होंने एडीएम (न्यायिक) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी. इसमें एसडीएम सदर के अलावा एसीपी कोतवाली को शामिल किया गया था. इस समिति की जांच में पता चला कि सिंहपुर कठार की जमीन गाटा संख्या 207 और रामपुर भीमसेन की गाटा संख्या 895 की जमीनें न्यायालय में विचाराधीन थीं.
ऐसे की धांधली
इसकी वजह से न तो विक्रेता का नाम खतौनी में था और न ही बिक्री की वैधानिक अनुमति थी. बावजूद इसके कानूनगो ने हेराफेरी कर 11 मार्च 2024 को ना केवल वरासत दर्ज कर लिया, बल्कि उसी दिन बैनामा भी करा दिया. यही नहीं, गाटा 207 को 19 अक्टूबर 2024 को RNG इंफ्रा नाम की निजी कंपनी को बेच भी दिया गया. जांच में यह पूरा मामला पद का दुरुपयोग का आया. इस मामले में थाना कोतवाली में मार्च 2025 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
मार्च में जारी हुआ था आरोप पत्र
अब विभागीय जांच निलंबन के साथ शुरू हुई और चार आरोपों वाला आरोप पत्र मार्च 2025 को जारी किया गया. इस मामले में अगस्त 2025 में आरोपी की व्यक्तिगत सुनवाई हुई. इसमें सभी आरोप सही पाए गए. पाया गया कि आलोक दुबे ने विवादित भूमि का अनुचित तरीके से बैनामा किया और लगातार बिना अनुमति संपत्ति खरीद-फरोख्त में शामिल रहा. समिति ने इसे सरकारी आचरण नियमों का उल्लंघन पाया.
लेखपाल की भूमिका संदिग्ध
इसके अलावा सहायक महानिरीक्षक निबंधन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कानूनगो दुबे ने इसी प्रकार 41 अन्य संपत्तियों के मालिकाना हक तय करने में गड़बड़ी की है. इस रिपोर्ट को देखते हुए डीएम ने जनता के विश्वास को तोड़ने वाला अपराध बताते हुए दुबे को कानूनगो से डिमोट कर लेखपाल बना दिया है. वहीं, इस मामले में क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया एसडीएम सदर स्तर पर चल रही है.